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AIBE 19 2024 Exam Question Paper 2023 Answer key | December 10 | Set A, B, C, D PDF Link | English, Hindi

 1. The concept of freedom of trade and commerce mentioned in the Indian Constitution is motivated from the 

experience of the following country? / भारतीय संविधान में उल्लिखित व्यापार और िाणिज्य की स्ितंत्रता की अिधारिा वनम्नलिखित में से 

वकस देश के अनुभि से प्रेररत है?

(A) America / अमेरिका

(B) Australia / ऑस्ट्रेलिया

(C) Ireland / आयििैंड

(D) United Kingdom / यूनाइटेड ककिंगडम

Ans. [B]


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2. Which of the following writ is issued to enforce the performance of public duties by the authority? / वनम्नलिखित में से 

कौन सी ररट प्राधधकारी द्वारा सािवजवनक कतवव्यों के पािन को िागू करने के लिए जारी की जाती है ?

(A) Mandamus / पिमादेश

(B) Quo warranto / अधिकाि-पृच्छा

(C) Certiorari / उत्प्रेषण (सर्टिंओिािी)

(D) Prohibition / रतिषेि

Ans. [A]



3. Which of the following Constitutional Amendment Act had made the provision for publishing Hindi Translation of 

the Constitution? / वनम्नलिखित में से वकस संिैधावनक संशोधन अधधवनयम में संविधान का हहिंदी अनुिाद प्रकालशत करने का प्रािधान वकया गया 

था ?

(A) 52nd Amendment / 52वााँ संशोिन

(B) 54th Amendment / 54वााँ संशोिन

(C) 56th Amendment / 56वााँ संशोिन

(D) 58th Amendment / 58वााँ संशोिन

Ans. [D]



4. Which of the following is the landmark judgment on the Colourable legislation? / वनम्नलिखित में से कौन सा आभासी विधान 

पर ऐवतहालसक वनिवय है ?

(A) State of Bihar v Kameshwar Singh / तिहाि िाज्य िनाम कामेश्वि ससिंह

(B) M. Karunanidhi v Union of India / एम. करुणातनधि िनाम भािि संघ

(C) State of Karnataka v Union of India / कनााटक िाज्य िनाम भािि संघ

(D) Keshavan Madhava Menon v State of Bombay / के शवन मािव मेनन िनाम िॉम्िे िाज्य

Ans. [A]



5. Which of the following Constitutional Amendment Act was passed in light of the advisory opinion received in Re 

Berubari case? / रे बेरुबारी मामिे में प्राप्त सिाहकारी राय के आिोक में वनम्नलिखित में से कौन सा संिैधावनक संशोधन अधधवनयम पाररत वकया 

गया था ?

(A) The Constitution (Fourth Amendment) Act, 1955 / संतविान (चौथा संशोिन) अधितनयम, 1955

(B) The Constitution (Seventh Amendment) Act, 1956 / संतविान (सािवााँ संशोिन) अधितनयम, 1956

(C) The Constitution (Ninth Amendment) Act, 1960 / संतविान (नौवााँ संशोिन) अधितनयम, 1960

(D) The Constitution (Eleventh Amendment) Act, 1961 / संतविान (ग्यािहवााँ संशोिन) अधितनयम, 1961

Ans. [C]



6. Which of the following provision of the Constitution of India is relevant for solving questions of repugnancy 

between a Central law and a State law? / भारत के संविधान का वनम्नलिखित में से कौन सा प्रािधान कें द्रीय विधध और राज्य विधध के बीच 

असंगवत के प्रश्नों को हि करने के लिए प्रासंवगक है ?

(A) Article 248 / अनुच्छेद 248

(B) Article 252 / अनुच्छेद 252

(C) Article 254 / अनुच्छेद 254

(D) Article 256 / अनुच्छेद 256

Ans. [C]



7. What transition period was provided in the Constitution of India for changing official language of Union from 

English to Hindi? / भारत के संविधान में संघ की राजभाषा को अंग्रेजी से हहिंदी में बदिने के लिए वकतनी संक्रमि अिधध प्रदान की गई थी ?

(A) 5 years / 5 वषा

(B) 10 years / 10 वषा

(C) 15 years / 15 वषा

(D) 25 years / 25 वषा

Ans. [C]


8. In which of the following case it was held that there could be no reservation on single post in the cadre? /

वनम्नलिखित में से वकस मामिे में यह वनिीत वकया गया वक संिगव में एकि पद पर कोई आरक्षि नहीं हो सकता ?

(A) Chakradhar Paswan v State of Bihar / चक्रघि पासवान िनाम तिहाि िाज्य

(B) K.C. Vasanth Kumar v State of Karnataka / के .सी. वसंि कु माि िनाम कनााटक िाज्य

(C) A.B.S.K. Sangh (Rly) v Union of India / ए.िी.एस.के . संघ (िेिवे) िनाम भािि संघ

(D) State of Kerala v N.M. Thomas / के िि िाज्य िनाम एन. एम. थॉमस

Ans. [A]



9. Sexual harassment of a working woman at her place of work may also be considered as the violation of which of 

the following provision of the Constitution of India? / वकसी कामकाजी मवहिा के साथ उसके कायवस्थि पर यौन उत्पीड़न को भारतीय 

संविधान के वनम्नलिखित में से वकस प्रािधान का उलिंघन भी माना जा सकता है ?

(A) Article 19(1)(b) / अनुच्छेद 19(1) (िी)

(B) Article 19(1)(d) / अनुच्छेद 19(1)(डी)

(C) Article 19(1)(e) / अनुच्छेद 19(1)(ई)

(D) Article 19(1)(g) / अनुच्छेद 19(1) (जी)

Ans. [D]



10. Which of the following doctrine has been applied to resolve the conflict between Article 25(2)(b) and 26(b) of the 

Constitution of India? / भारत के संविधान के अनुच्छेद 25(2)(बी) और 26(बी) के बीच टकराि को हि करने के लिए वनम्नलिखित में से कौन सा 

लसद्ांत िागू वकया जाता है ? 

(A) Doctrine of Harmonious construction / सामजस्ट्यपूणा तनमााण का लसद्ांि

(B) Doctrine of Casus Omissus / अनुिन्धिि तवषय का लसद्ांि

(C) Doctrine of Liberal interpretation / उदाि व्याख्या का लसद्ांि

(D) Doctrine of Pith and substance / साि औि ित्प्व का लसद्ांि

Ans. [A]



11. In which of the following situations Indian Penal Code, 1860 may not apply? / वनम्नलिखित में से वकस ल्स्थवत में भारतीय दंड 

संवहता, 1860 िागू नहीं हो सकती है ?

i. An offence committed by Indians outside India. / भारतीयों द्वारा भारत के बाहर वकया गया अपराध

ii. An offence committed by any person on any ship registered in India. / भारत में पंजीकृ त वकसी भी जहाज पर वकसी 

व्यलि द्वारा वकया गया अपराध

iii. Any person committing offence targeting computer resources located in any country. / वकसी भी देश में ल्स्थत 

कं प्यूटर संसाधनों को वनशाना बनाकर अपराध करने िािा कोई भी व्यलि

(A) Only i

(B) Only ii 

(C) Only iii 

(D) Only i & ii 

Ans. [C]



12. How many types of punishment are currently existing under the Indian Penal Code, 1860 ? / भारतीय दंड संवहता, 1860

के अंतगवत ितवमान में वकतने प्रकार के दंड विद्यमान हैं ?

(A) 3

(B) 4 

(C) 5 

(D) 6 

Ans. [C]



13. A and Z agree to fence with each other for amusement. In the course of such fencing, while playing fairly, A hurts 

Z severely. Which of the following offence is committed by A? / A और Z मनोरंजन के लिए एक-दूसरे के साथ तििारबाजी के लिए 

सहमत होते हैं। इस तििारबाजी के दौरान, उधचत रूप से िेिते हुए, A, Z को गंभीर रूप से चोट पहुुँचा देता है। A द्वारा वनम्नलिखित में से कौन सा 

अपराध वकया गया है ? 

(A) Hurt / चोट

(B) Attempt to murder / हत्प्या का रयास

(C) Grievous hurt / गंभीि चोट

(D) No offence / कोई अपिाि नहीं

Ans. [D]



14. In which of the following situations right of private defence can not extend to causing death? / वनम्नलिखित में से वकस 

ल्स्थवत में वनजी बचाि का अधधकार मृत्यु काररत करने तक विस्ताररत नहीं हो सकता ?

(A) In case when an assault is causing apprehension of murder. / ऐसे मामिे में जि तकसी हमिे से हत्प्या की आशंका हो ।

(B) In case when assault is reflecting intention of committing rape. / ऐसे मामिे में जि हमिा ििात्प्काि किने के इिादे को दशाािा हो ।

(C) In case when assault is reflecting intention of causing simple hurt. / ऐसे मामिे में जि हमिा सािािण चोट पहाँचाने के इिादे को दशाािा 

हो ।

(D) In case when assault is reflecting intention of gratifying unnatural lust. / ऐसे मामिे में जि हमिा अराकृ तिक वासना को संिुष्ट किने 

के इिादे को दशाािा हो।

Ans. [C]



15. For which of the following Section of the Indian Penal Code, 1860 the word benefit does not include pecuniary 

benefits? / भारतीय दंड संवहता, 1860 की वनम्नलिखित में से वकस धारा के लिए िाभ शब्द में आर्थिंक िाभ शाधमि नहीं है ?

(A) Section 89 / िािा 89

(B) Section 155 / िािा 155

(C) Section 156/ िािा 156

(D) Section 370 / िािा 370

Ans. [A]



16. X intentionally pulls up a woman's veil without her consent intending to annoy her. As per the Indian Penal Code, 

1860 which of the following offence he has committed? / X जानबूझकर वकसी मवहिा को परेशान करने के इरादे से उसकी सहमवत के 

वबना उसका घूुँघट िींचता है। भारतीय दंड संवहता, 1860 के अनुसार उसने वनम्नलिखित में से कौन सा अपराध वकया है ?

(A) Hurt / चोट

(B) Criminal force / आपिाधिक िि

(C) Assault / हमिा

(D) Grievous hurt / गंभीि चोट

Ans. [B]



17. What punishment is prescribed under the Indian Penal Code, 1860 for a person who maims any minor in order 

that such minor may be used for the purposes of begging? / भारतीय दंड संवहता, 1860 के तहत ऐसे व्यलि के लिए क्या सज्जा 

वनधावररत की गई है जो वकसी नाबालिग को अपंग बनाता है तावक ऐसे नाबालिग का इस्तेमाि भीि माुँगने के लिए वकया जा सके ?

(A) Imprisonment for 5 years and fine / 5 साि का कािावास औि जुमााना

(B) Imprisonment for 7 years and fine / 7 साि का कािावास औि जुमााना

(C) Imprisonment for 10 years and fine / 10 साि का कािावास औि जुमााना

(D) Imprisonment for life and fine / आजीवन कािावास औि जुमााना

Ans. [D]



18. X threatens to publish a defamatory libel concerning Y unless Y gives him money. Which of the following 

punishment may be given to X for the act committed by him as per the Indian Penal Code, 1860 ? / X धमकी देता है वक 

अगर Y उसे पैसे नहीं देगा तो िह Y के संबंध में मानहावन िेि प्रकालशत कर देगा। भारतीय दंड संवहता, 1860 के अनुसार X को उसके द्वारा वकए गए कृ त्य 

के लिए वनम्नलिखित में से कौन सी सजा दी जा सकती है ?

(A) Imprisonment upto 2 years, or with fine or with both. / 2 साि िक का कािावास, या जुमााना या दोनों

(B) Imprisonment upto 3 years, or with fine or with both. / 3 साि िक का कािावास, या जुमााना या दोनों

(C) Imprisonment upto 5 years, or with fine or with both. / 5 साि िक का कािावास, या जुमााना या दोनों

(D) Imprisonment upto 7 years, or with fine or with both. / 7 साि िक का कािावास, या जुमााना या दोनों

Ans. [A]



19. Which of the following sentence is an Assistant Sessions Judge authorised to pass as per the Code of Criminal 

Procedure, 1973 ? / दंड प्रवक्रया संवहता, 1973 के अनुसार सहायक सत्र न्यायाधीश वनम्नलिखित में से कौन सी सजा पाररत करने के लिए अधधकृ त 

है ?

(A) Sentence of death. / मौि की सजा

(B) Sentence of imprisonment for life. / आजीवन कािावास की सजा

(C) Sentence of imprisonment for a term not exceeding ten years. / दस वषा िक की अवधि के लिए कािावास की सजा

(D) Sentence of imprisonment for a term exceeding ten years. / दस वषा से अधिक अवधि के लिए कािावास की सजा

Ans. [C]



20. A person arrested by a private person for committing a non-bailable and cognizable offence shall be re-arrested 

by a police officer if such person comes under which of the following provision of the Code of Criminal Procedure, 

1973 ? / गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध करने के लिए वकसी वनजी व्यलि द्वारा वगरफ्तार वकए गए व्यलि को पुलिस अधधकारी द्वारा विर से वगरफ्तार 

वकया जाएगा यदद ऐसा व्यलि दंड प्रवक्रया संवहता, 1973 के वनम्नलिखित में से वकस प्रािधान के तहत आता हो ?

(A) Section 41 / िािा 41

(B) Section 41A / िािा 41ए

(C) Section 42 / िािा 42

(D) Section 43 / िािा 43

Ans. [D]



21. Under which of the following situation wife is not entitled for maintenance under Section. 125 of the Code of 

Criminal Procedure, 1973 ? / वनम्नलिखित में से वकस ल्स्थवत में पत्नी दंड प्रवक्रया संवहता, 1973 की धारा 125 के तहत भरि-पोषि की हकदार 

नहीं है ?

(A) Husband presumes that wife is living in adultery. / पति मानिा है तक पत्प्नी जाििा में िह िही है।

(B) Voluntarily wife refuses to live with husband. / पत्प्नी स्ट्वेच्छा से पति के साथ िहने से इनकाि कििी हो।

(C) Wife living separately as husband keeps a mistress. / पत्प्नी अिग िह िही है क्योंतक पति िखैि िखिा है।

(D) Wife is forcefully removed from the house. / पत्प्नी को जििदस्ट्िी घि से तनकाि ददया गया हो।

Ans. [B]



22. Which of the following procedure is dealt under Section 164-A of the Code of Criminal Procedure, 1973 ? /

वनम्नलिखित में से कौन सी प्रवक्रया दंड प्रवक्रया संवहता, 1973 की धारा 164-ए के तहत आती है ?

(A) Medical examination of the victim of rape. / ििात्प्काि पीध़ििा की मेधडकि जााँच

(B) Attendance of witness by police officer. / पुलिस अधिकािी द्वािा गवाह की हाजजिी

(C) Recording of confession statement. / स्ट्वीकािोलि ियान की रिकॉर्डिंग

(D) Recording of first information report by police officer. / पुलिस अधिकािी द्वािा रथम सूचना रिपोटा की रिकॉर्डिंग

Ans. [A]



23. Which of the following is incorrect with respect to diary of proceedings in investigation as per the Code of 

Criminal Procedure, 1973 ? / दंड प्रवक्रया संवहता, 1973 के अनुसार अन्िेषि में कायविाही की डायरी के संबंध में वनम्नलिखित में से कौन सा 

गित है ?

(A) The statements of witnesses recorded during investigation shall be inserted in the diary. / अधवेषण के दौिान दजा तकए गए 

गवाहों के ियान डायिी में डािे जाएाँगे ।

(B) The diary shall be duly paginated. / डायिी को पृष्ांतकि तकया जाएगा।

(C) The diary may be used as evidence. / डायिी को साक्ष्य के रूप में इस्ट्िेमाि तकया जा सकिा है।

(D) Can be used by the police officers to refresh memory. / पुलिस अधिकारियों द्वािा स्ट्मृति को िाजा किने के लिए उपयोग तकया जा सकिा है।

Ans. [C]



24. In which of the following cases manner of committing offence is not required to be mentioned in the charge as 

per the Code of Criminal Procedure, 1973 ? / वनम्नलिखित में से वकस मामिे में दंड प्रवक्रया संवहता, 1973 के अनुसार अपराध करने के 

तरीके का आरोप में उलिेि करना आिश्यक नहीं है ?

(A) A is accused of the theft of a certain article at a certain time and place. / A एक तनश्चिि समय औि स्ट्थान पि तकसी वस्ट्िु की चोिी का 

अश्चभयुि हो ।

(B) A is accused of cheating B at a given time and place. / A एक तनश्चिि समय औि स्ट्थान पि B को िोखा देने का अश्चभयुि हो।

(C) A is accused of disobeying a direction of the law with intent to save B from punishment. / AB को सजा से िचाने के इिादे से 

कानून के तनदेश की अवज्ञा किने का अश्चभयुि हो ।

(D) A is accused of giving false evidence at a given time and place. / A तकसी समय औि स्ट्थान पि झूठी गवाही देने का अश्चभयुि हो ।

Ans. [A]



25. Which of the following offences may be tried summarily as per the Code of Criminal Procedure, 1973 ? / दंड प्रवक्रया 

संवहता, 1973 के अनुसार वनम्नलिखित में से वकस अपराध का संणक्षप्त विचारि वकया जा सकता है ?

(A) Offence under Section 454 of the IPC. / आईपीसी की िािा 454 के िहि अपिाि

(B) Offence under Section 504 of the IPC. / आईपीसी की िािा 504 के िहि अपिाि

(C) Offence punishable with imprisonment for a term not exceeding two years. / दो वषा से अनधिक की अवधि के कािावास से दंडनीय 

अपिाि

(D) Offence punishable with life imprisonment. / आजीवन कािावास से दंडनीय अपिाि

Ans. [D]



26. Which of the following Section of the Code of Criminal Procedure, 1973 provides for reference to High Court? / दंड 

प्रवक्रया संवहता, 1973 की वनम्नलिखित में से कौन सी धारा उच्च न्यायािय को वनदेश का प्रािधान करती है ?

(A) Section 275 / िािा 275

(B) Section 325 / िािा 325

(C) Section 383 / िािा 383

(D) Section 395 / िािा 395

Ans. [D]



27. A person accused of the following offence may not be granted bail under Section 438 of the Code of Criminal 

Procedure, 1973: / वनम्नलिखित अपराध के आरोपी व्यलि को दंड प्रवक्रया संवहता, 1973 की धारा 438 के तहत जमानत नहीं दी जा सकती :

i. Accused of offence under Section 376AB of the IPC. / आईपीसी की धारा 376एबी के तहत अपराध का आरोपी

ii. Accused of offence under Section 376DA of the IPC. / आईपीसी की धारा 376डीए के तहत अपराध का आरोपी

iii. Accused of offence under Section 376DB of the IPC. / आईपीसी की धारा 376डीबी के तहत अपराध का आरोपी

(A) i & ii 

(B) ii & iii 

(C) iii & i 

(D) i, ii & iii 

Ans. [D]



28. Which of the following act if done by any Magistrate, even in good faith without being empowered, shall vitiate 

the proceedings as per the Code of Criminal Procedure, 1973 ? / यदद कोई मजजस्रेट वनम्नलिखित में से कौन सा कायव वबना प्राधधकार 

के करता है, भिे ही सद्भािना में वकया गया हो, तो दंड प्रवक्रया संवहता, 1973 के अनुसार कायविाही को वनष्प्प्रभािी कर देगा ?

(A) Tender a pardon under Section 306 of CrPC. / सीआिपीसी की िािा 306 के िहि क्षमादान देना ।

(B) Recall a case and try it under Section 410 of the CrPC. / तकसी मामिे को रत्प्याह्वान किना औि सीआिपीसी की िािा 410 के िहि मुकदमा 

चिाना

(C) Attaches property under Section 83 of the CrPC. / सीआिपीसी की िािा 83 के िहि संपलि कु का किना।

(D) Hold an inquest under Section 176 of the CrPC. / सीआिपीसी की िािा 176 के िहि जााँच किना ।

Ans. [C]



29. Which of the following is material for deciding the jurisdiction of the Civil Court in the light of the Code of Civil 

Procedure, 1908 ? / दीिानी (लसविि) प्रवक्रया संवहता, 1908 के आिोक में दीिानी न्यायािय के क्षेत्राधधकार को तय करने के लिए वनम्नलिखित में 

से कौन सा महत्िपूिव है ?

(A) Averments made in the plaint / वादपत्र में ददए गए रमाण

(B) Averments made in the written statement / लिखखि ियान में ददए गए रमाण

(C) Both (A) & (B) / दोनों (A) औि (B)

(D) Neither (A) nor (B) / न िो (A) औि न ही (B)

Ans. [A]



30. Which of the following cannot be considered as the suit of civil nature for Section 9 of the Code of Civil Procedure, 

1908 ? / दीिानी प्रवक्रया संवहता, 1908 की धारा 9 के लिए वनम्नलिखित में से वकसे दीिानी प्रकृ वत का मुकदमा नहीं माना जा सकता ?

(A) Suit for recovery of voluntary payments or offerings. / स्ट्वैच्च्छक भुगिान या भेंट की वसूिी के लिए मुकदमा

(B) Suit for rights of franchise. / मिाधिकाि के अधिकािों के लिए मुकदमा

(C) Suit for specific reliefs. / तवलशष्ट िाहि के लिए मुकदमा

(D) Suit relating to rights of worship. / पूजा के अधिकाि से संिंधिि मुकदमा

Ans. [A]



31. Which of the following provision of the Code of Civil Procedure, 1908 makes the doctrine of res judicata applicable 

in representative suit? / दीिानी प्रवक्रया संवहता, 1908 का वनम्नलिखित में से कौन सा प्रािधान प्रवतवनधध मुकदमे में रेस ज्युधडके टा (प्राड् न्याय) 

के लसद्ांत को िागू करता है ?

(A) Section 11, Explanation V / िािा 11, स्ट्पष्टीकिण V

(B) Section 11, Explanation VI/ िािा 11, स्ट्पष्टीकिण VI

(C) Section 11, Explanation VII / िािा 11, स्ट्पष्टीकिण VII

(D) Section 11, Explanation VIII / िािा 11, स्ट्पष्टीकिण VIII

Ans. [B]



32. In which of the following situations a court will not issue summons for personal appearance to the defendant ? /

वनम्नलिखित में से वकस ल्स्थवत में न्यायािय प्रवतिादी को व्यलिगत उपल्स्थवत के लिए सम्मन जारी नहीं करेगी ?

(A) If defendant reside within the local limit of the court's jurisdiction. / यदद रतिवादी धयायािय के अधिकाि-क्षेत्र की स्ट्थानीय सीमा के 

भीिि िहिा हो।

(B) If defendant resides with within 40 miles from the court. / यदद रतिवादी धयायािय से 40 मीि के भीिि िहिा हो।

(C) If defendant resides 250 miles away from the court in an area having public conveyance available. / यदद रतिवादी 

सावाजतनक वाहन उपिब्ि होने वािे क्षेत्र में धयायािय से 250 मीि दूि िहिा हो।

(D) Woman to whom Section 132 of the Civil Procedure Code, 1908 does not apply. / मतहिा जजस पि दीवानी रतक्रया संतहिा, 1908

की िािा 132 िागू नहीं होिी हो।

Ans. [A]



33. In which of the following situation plaintiff is precluded from bringing a fresh suit as per the Code of Civil 

Procedure, 1908 ? / वनम्नलिखित में से वकस ल्स्थवत में िादी को दीिानी प्रवक्रया संवहता, 1908 के अनुसार नया मुकदमा करने से रोका जाता है ?

(A) Dismissal of suit where summons not served in consequence of plaintiff's failure to pay costs. / मुकदमे को खारिज किना 

जहााँ वादी द्वािा वाद व्यय का भुगिान किने में तवफििा के परिणामस्ट्वरूप सम्मन नहीं ददया गया था।

(B) Dismissal of suit because neither party appeared. / तकसी भी पक्ष के उपच्स्ट्थि नहीं होने के कािण मुकदमा खारिज किना ।

(C) Dismissal of suit in because plaintiff did not appear. / वादी के उपच्स्ट्थि नहीं होने के कािण मुकदमा खारिज किना ।

(D) Dismissal of suit because plaintiff did not apply for fresh summons within given time limit once it returned unserved. 

मुकदमे को खारिज किना क्योंतक वादी ने तिना िामीि तकए वापस आने के िाद दी गई समय सीमा के भीिि नए सम्मन के लिए आवेदन नहीं तकया था ।

Ans. [C]



34. How many times at max. may an adjournment be granted to a party during hearing of the suit as per the Code of 

Civil Procedure, 1908 ? / दीिानी प्रवक्रया संवहता, 1908 के अनुसार मुकदमे की सुनिाई के दौरान वकसी पक्ष को अधधकतम वकतनी बार स्थगन 

ददया जा सकता है ?

(A) Two times / दो िाि

(B) Three times / िीन िाि

(C) Four times / चाि िाि

(D) No limit prescribed / कोई सीमा तनिाारिि नहीं है।

Ans. [B]



35. Which of the following Amendment Act made the provision in the Code of Civil Procedure, 1908 to produce a 

witness without a summons? / वनम्नलिखित में से वकस संशोधन अधधवनयम ने दीिानी प्रवक्रया संवहता, 1908 में वबना सम्मन के गिाह को पेश 

करने का प्रािधान वकया था ?

(A) The Code of Civil Procedure (Amendment) Act, 1976 / दीवानी रतक्रया संतहिा (संशोिन) अधितनयम, 1976

(B) The Code of Civil Procedure (Amendment) Act, 1999 / दीवानी रतक्रया संतहिा (संशोिन) अधितनयम, 1999

(C) The Code of Civil Procedure (Amendment) Act, 2002 / दीवानी रतक्रया संतहिा (संशोिन) अधितनयम, 2002

(D) Such provision does not exist. / ऐसा कोई राविान मौजूद नहीं है।

Ans. [A]



36. Which of the following is not included in the word costs as provided under the Code of Civil Procedure, 1908 ? /

दीिानी प्रवक्रया संवहता, 1908 के तहत ददए गए बाद-व्यय शब्द में वनम्नलिखित में से क्या शाधमि नहीं है ?

(A) The expenses of the witnesses incurred. / गवाहों का खचा

(B) Legal fees and expenses incurred. / कानूनी फीस औि खचा

(C) Fooding and lodging expenses incurred. / खाने औि िहने का खचा

(D) Any other expenses incurred in connection with the proceedings. / कायावाही के संिंि में कोई अधय खचा

Ans. [C]



37. What period is prescribed under the Code of Civil Procedure, 1908 for defendant to enter an appearance for filing 

address for service of notice on him in case of a suit where summary procedure is to be applied? / वकसी मुकदमे के 

मामिे में जहाुँ सरसरी (संणक्षप्त) प्रवक्रया िागू की जानी है, प्रवतिादी को उस पर नोदटस की तामीि हेतु पता दाखिि करने के लिए उपल्स्थत होने के लिए 

दीिानी प्रवक्रया संवहता, 1908 के तहत वकतनी अिधध वनधावररत की गई है?

(A) Seven days from the date of receiving of summons. / सम्मन राप्ि होने की िािीख से साि ददन

(B) Ten days from the date of receiving of summons. / सम्मन राप्ि होने की िािीख से दस ददन

(C) Fifteen days from the date of receiving of summons. / सम्मन राप्ि होने की िािीख से पंद्रह ददन

(D) Thirty days from the date of receiving of summons. / सम्मन राप्ि होने की िािीख से िीस ददन

Ans. [B]



38. Under which of the following provisions of the Code of Civil Procedure, 1908 the appellate court may remit an 

issue for trial to lower court? / दीिानी प्रवक्रया संवहता, 1908 के वनम्नलिखित में से वकस प्रािधान के तहत अपीिीय अदाित वकसी मुद्दे को 

सुनिाई के लिए वनचिी अदाित में भेज सकती है ?

(A) Order XLI Rule 23 / आदेश XLI तनयम 23

(B) Order XLI Rule 23-A / आदेश XLI तनयम 23-ए

(C) Order XLI Rule 24 / आदेश XLI तनयम 24

(D) Order XLI Rule 25 / आदेश XLI तनयम 25

Ans. [D]



39. A is accused of the murder of B by beating him. Which of the following will not be considered as relevant fact 

forming part of the same transaction as per the Indian Evidence Act, 1872 ? / A पीट-पीटकर B की हत्या करने का अणभयुि है। 

वनम्नलिखित में से वकसे भारतीय साक्ष्य अधधवनयम, 1872 के अनुसार उसी कायव-किाप का वहस्सा बनने िािा प्रासंवगक तथ्य नहीं माना जाएगा ?

(A) Whatever said by A or B at the time of beating. / तपटाई के समय A या B ने जो कु छ भी कहा 

(B) Whatever done by A or B at the time of beating. / तपटाई के समय A या B ने जो कु छ भी तकया।

(C) Whatever said by by-standers at the time of beating. / तपटाई के समय आस-पास ख़िे िोगों ने जो कु छ भी कहा ।

(D) Whatever said by A or B a day before the day of beating. / तपटाई वािे ददन से एक ददन पहिे A या B ने जो कु छ भी कहा।

Ans. [D]



40. Which of the following provisions of the Indian Evidence Act, 1872 says that the confession to police-officer shall 

not be proved against him? / भारतीय साक्ष्य अधधवनयम, 1872 का वनम्नलिखित में से कौन सा प्रािधान कहता है वक पुलिस अधधकारी के 

समक्ष संस्िीकृ वत उसके विरुद् सावबत नहीं की जाएगी ?

(A) Section 24 / िािा 24

(B) Section 25 / िािा 25

(C) Section 26 / िािा 26

(D) Section 27 / िािा 27

Ans. [B]



41. Under which of the following provision of the Indian Evidence Act, 1872 dying declaration may be admitted as 

evidence? / भारतीय साक्ष्य अधधवनयम, 1872 के वनम्नलिखित में से वकस प्रािधान के तहत मृत्युकालिक कथन को साक्ष्य के रूप में स्िीकार वकया जा 

सकता है ?

(A) Section 25 / िािा 25

(B) Section 29 / िािा 29

(C) Section 32 / िािा 32

(D) Section 37 / िािा 37

Ans. [C]



42. Which of the following is correct according to the Indian Evidence Act, 1872 pertaining to proof of contents of the 

documents? / भारतीय साक्ष्य अधधवनयम, 1872 के अनुसार दस्तािेजों की अन्तिवस्तु के प्रमाि के संबंध में वनम्नलिखित में से कौन सा सही है ?

(A) Contents of the documents shall be proved by primary evidence. / दस्ट्िावेजों की अधिवास्ट्िु राथधमक साक्ष्य द्वािा सातिि की जाएगी।

(B) Contents of the documents may be proved by secondary evidence. / दस्ट्िावेजों की अधिवास्ट्िु को तद्विीयक साक्ष्य द्वािा सातिि तकया जा 

सकिा है।

(C) Contents of the documents shall be proved by both primary and secondary evidence. / दस्ट्िावेजों की अधिवास्ट्िु राथधमक औि 

तद्विीयक दोनों साक्ष्य द्वािा सातिि की जाएगी।

(D) Contents of documents may be proved either by primary or by secondary evidence. / दस्ट्िावेजों की अधिवास्ट्िु राथधमक या 

तद्विीयक साक्ष्य द्वािा सातिि की जा सकिी है।

Ans. [D]



43. Which of the following is a correct statement as per the Indian Evidence Act, 1872 ? / भारतीय साक्ष्य अधधवनयम, 1872 के 

अनुसार वनम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है ?

(A) Leading questions may be asked in examination-in-chief. / सूचक रश्न मुख्य पिीक्षा में पूछे जा सकिे हैं।

(B) Leading questions may be asked in cross-examination. / जजिह (रति-पिीक्षा) में सूचक रश्न पूछे जा सकिे हैं।

(C) Leading questions may be asked in re-examination. / पुन: पिीक्षा में सूचक रश्न पूछे जा सकिे हैं।

(D) Leading question cannot be asked in cross-examination. / जजिह (रति-पिीक्षा) में सूचक रश्न नहीं पूछा जा सकिा ।

Ans. [B]



44. In which of the following case did the Supreme Court of India clarify the admissibility of electronic record as 

evidence? / वनम्नलिखित में से वकस मामिे में भारत के सिोच्च न्यायािय ने साक्ष्य के रूप में इिेक्रॉवनक ररकॉडव की स्िीकायवता को स्पष्ट वकया था ? 

(A) Anvar P.V. v P.K. Basheer / अनिि पी.वी. िनाम पी.के . िशीि

(B) State of Haryana v Jai Singh / हरियाणा िाज्य िनाम जय ससिंह

(C) State of Maharashtra v Natwarlal Damodardas Soni / महािाष्ट्र िाज्य िनाम नटवििाि दामोदिदास सोनी

(D) State of Punjab v Jagir Singh / पंजाि िाज्य िनाम जागीि ससिंह

Ans. [A]



45. Which of the following is incorrect statement in the light of Indian Evidence Act, 1872 ? / भारतीय साक्ष्य अधधवनयम, 1872

के आिोक में वनम्नलिखित में से कौन सा कथन गित है ?

(A) Confession always go against a person making it. / संस्ट्वीकृ ति हमेशा किने वािे व्यलि के खखिाफ जािी है।

(B) Admissions are conclusive as to the matters admitted. / स्ट्वीकाि तकए गए मामिों के संिंि में स्ट्वीकािोलि तनणाायक हैं।

(C) Admissions may operate as an estoppel. / स्ट्वीकािोलि एक तविंि के रूप में काया कि सकिे हैं।

(D) Confession is statement written or oral which is direct admission of suit. / संस्ट्वीकृ ति लिखखि या मौखखक ियान है जो मुकदमे की 

रत्प्यक्ष स्ट्वीकृ ति है ।

Ans. [B]



46. Which of the following Section of the Indian Evidence Act, 1872 is an exception to the hearsay rule? / भारतीय साक्ष्य 

अधधवनयम, 1872 की वनम्नलिखित में से कौन सी धारा अनुश्रुवत वनयम का अपिाद है ?

(A) Section 32 (1) / िािा 32 (1)

(B) Section 32 (2) / िािा 32 (5)

(C) Section 32 (3) / िािा 32 (3)

(D) Section 32 (5) / िािा 32 (5)

Ans. [A]



47. Which of the following is not a recognized alternate dispute resolution mechanism under the Code of Civil 

Procedure, 1908 ? / वनम्नलिखित में से कौन सा दीिानी प्रवक्रया संवहता, 1908 के तहत एक मान्यता प्राप्त िैकल्लपक वििाद समाधान तंत्र नहीं है ?

(A) Arbitration / मध्यस्ट्थिा

(B) Conciliation / सुिह

(C) Lok Adalat / िोक अदािि

(D) Negotiation / िािचीि

Ans. [D]



48. Which of the following is incorrect statement with respect to Lok Adalat ? / िोक अदाित के संबंध में वनम्नलिखित में से कौन 

सा कथन गित है ?

(A) No court fee is required in Lok Adalat. / िोक अदािि में तकसी धयायािय शुल्क की आवश्यकिा नहीं होिी हैं।

(B) Lok Adalat can deal with all civil & criminal matters. / िोक अदािि सभी दीवानी औि आपिाधिक (फौजदािी) मामिों से तनपट सकिी है।

(C) Award of Lok Adalat is a deemed decree. / िोक अदािि का अधितनणाय एक माधय धडक्री है।

(D) No appeal against the award of Lok Adalat is allowed. / िोक अदािि के फै सिे के खखिाफ अपीि की अनुमति नहीं है।

Ans. [B]



49. Which of the following is incorrect with respect to arbitration agreement as per the Arbitration and Conciliation 

Act, 1996 ? / मध्यस्थता और सुिह अधधवनयम, 1996 के अनुसार मध्यस्थता करार के संबंध में वनम्नलिखित में से कौन सा गित है

(A) Arbitration agreement may be written as well as oral. / मध्यस्ट्थिा किाि लिखखि के साथ-साथ मौखखक भी हो सकिा है।

(B) Arbitration agreement may be in the form of a separate agreement. / मध्यस्ट्थिा किाि एक अिग समझौिे के रूप में हो सकिा है।

(C) Arbitration agreement may be in the form of an arbitration clause in a contract. / मध्यस्ट्थिा किाि एक अनुिंि में मध्यस्ट्थिा खंड 

के रूप में हो सकिा है।

(D) Arbitration agreement may be for all or certain disputes which may arise between the parties. / मध्यस्ट्थिा किाि उन सभी या 

कु छ तववादों के लिए हो सकिा है जो पक्षकािों के िीच उत्प्पधन हो सकिे हैं।

Ans. [A]



50. In which of the following circumstances an arbitrator may not be challenged as per the Arbitration and 

Conciliation Act, 1996 ? / मध्यस्थता और सुिह अधधवनयम, 1996 के अनुसार वनम्नलिखित में से वकस पररल्स्थवत में मध्यस्थ को चुनौती नहीं दी 

जा सकती है ?

(A) When a justifiable doubt as to his independence arises. / जि उसकी स्ट्विंत्रिा के िािे में उधचि संदेह उत्प्पधन होिा हो।

(B) When a justifiable doubt as to his impartiality arises. / जि उसकी तनष्पक्षिा के िािे में उधचि संदेह उत्प्पधन होिा हो ।

(C) When he possesses the qualifications agreed by the party. / जि उसके पास पक्षकाि द्वािा सहमि योग्यिाएाँ हों।

(D) When he becomes ineligible as per the seventh schedule of the Act. / जि वह अधितनयम की सािवीं अनुसूची के अनुसाि अपात्र हो 

जाए।

Ans. [D]



51. When may two persons be said to be related to each other by half-blood in accordance with the Hindu Marriage 

Act, 1955? / हहिंदू वििाह अधधवनयम, 1955 के अनुसार कब दो व्यलियों को एक-दूसरे का सौतेिा ररश्तेदार कहा जा सकता है ?

(A) When they are descended from a common ancestor by the same wife. / जि वे एक ही पूवाज की एक ही पत्प्नी के वंशज हों।

(B) When they are descended from a common ancestor by different wives. / जि वे एक ही पूवाज की अिग-अिग पत्त्प्नयों के वंशज हों।

(C) When they are descended from a common ancestress by different husbands. / जि वे एक ही पूवाज (पुिखखन) के अिग-अिग 

पतियों की संिान हों।

(D) When they are not descended from a common ancestor at all. / जि वे एक सामाधय पूवाज के वंशज नहीं हों ।

Ans. [B]



52. Which of the following is generally not considered as a valid condition for a Hindu marriage as per the Hindu 

Marriage Act, 1955 ? / हहिंदू वििाह अधधवनयम, 1955 के अनुसार वनम्नलिखित में से वकसे आमतौर पर हहिंदू वििाह के लिए िैध शतव न माना जाता ?

(A) The parties should not have a spouse living at the time of the marriage. / तववाह के समय पक्षकािों का कोई जीवनसाथी जीतवि नहीं 

होना चातहए।

(B) The parties should be within the degrees of prohibited relationship. / पक्षकािों को रतितषद् रिश्िे की कोदट के भीिि होना चातहए।

(C) The parties should not be sapindas of each other. / पक्षकािों को एक-दूसिे का सकपिंड नहीं होना चातहए।

(D) The parties should not be suffering from epilepsy. / पक्षकािों को धमिगी से पीध़िि नहीं होना चातहए ।

Ans. [B]



53. Section 13(1) of the Hindu Marriage Act, 1955 provides for the following: / हहिंदू वििाह अधधवनयम, 1955 की धारा 13 (1) 

वनम्नलिखित प्रािधान करती है :

i. Grounds for restitution of conjugal rights / दाम्पत्य अधधकारों की बहािी के लिए आधार

ii. Grounds for judicial separation / न्याधयक पृथक्करि के लिए आधार

iii. Grounds for divorce / तिाक के लिए आधार

(A) i & ii 

(B) ii & iii 

(C) iii & i 

(D) Only iii 

Ans. [D]



54. What is the meaning of the batil marriage in Muslim Law? / मुल्स्िम विधध में बावति वििाह का क्या अथव है ?

(A) Valid marriage / वैि तववाह

(B) Void marriage / शूधय तववाह

(C) Voidable marriage / शूधयकिणीय तववाह

(D) Irregular marriage / अतनयधमि तववाह

Ans. [B]



55. What is 'a contract of marriage which may be dissolved by the wife under a power delegated to her' called under 

the Muslim Law? / "वििाह का िह अनुबंध जजसे पत्नी द्वारा उसे सौंपे गए अधधकार के तहत भंग वकया जा सकता है' को मुल्स्िम विधध के तहत क्या 

कहा जाता है ?

(A) Talaq-us-sunnat ./ ििाक-उस-सुधनि

(B) Talaq-ul-biddat / ििाक-उि-तिद्दि

(C) Talaq-i-tafweez / ििाक-ए-िफ़वीज

(D) Talaq-a-hasan / ििाक-ए-हसन

Ans. [C]



56. A Hindu boy and a Hindu girl may be married under the following law: / वनम्नलिखित में से वकस अधधवनयम के तहत एक हहिंदू 

िड़का और हहिंदू िड़की शादी कर सकते हैं ?

i. The Hindu Marriage Act, 1955 / हहिंदू वििाह अधधवनयम, 1955

ii. The Special Marriage Act, 1954 / विशेष वििाह अधधवनयम, 1954

(A) Only i is correct. / के वि i सही है।

(B) Only ii is correct. / के वि ii सही है।

(C) Both i and ii are correct. / i औि ii दोनों सही हैं।

(D) Neither i nor ii is correct. / न िो i औि न ही ii सही है।

Ans. [C]



57. Through which of the following Amendment Act the rights in the coparcenary property is made available to a girl 

child as well? / वनम्नलिखित में से वकस संशोधन अधधवनयम द्वारा बालिका को भी सहदाधयकी संपलि में अधधकार उपिब्ध कराया गया है ?

(A) The Hindu Succession (Amendment) Act, 2002 / कहिंदू उििाधिकाि (संशोिन) अधितनयम, 2002

(B) The Hindu Succession (Amendment) Act, 2004 / कहिंदू उििाधिकाि (संशोिन) अधितनयम, 2004

(C) The Hindu Succession (Amendment) Act, 2005 / कहिंदू उििाधिकाि (संशोिन) अधितनयम, 2005

(D) The Hindu Succession (Amendment) Act, 2006 / कहिंदू उििाधिकाि (संशोिन) अधितनयम, 2006

Ans. [C]



58. What should be the age difference between the adoptive father and his adopted daughter for a valid adoption? /

िैध दिक ग्रहि के लिए दिक वपता और उसकी दिक पुत्री के बीच आयु का अंतर वकतना होना चावहए ?

(A) 15 years / 15 वषा

(B) 18 years / 18 वषा

(C) 21 years / 21 वषा

(D) No specific age difference required. / कोई तवलशष्ट आयु अंिि आवश्यक नहीं है।

Ans. [C]



59. Which of the following case may be considered as the first reported case of PIL in India ? / वनम्नलिखित में से वकस मामिे 

को भारत में जनवहत याधचका का पहिा दजव मामिा माना जा सकता है ?

(A) S.P. Gupta v Union of India / एस.पी. गुप्िा िनाम भािि संघ

(B) Hussainara Khatoon v State of Bihar / हसैनआिा खािून िनाम तिहाि िाज्य

(C) M.C. Mehta v Union of India / एम. सी. मेहिा िनाम भािि संघ

(D) Kalyaneshwari v Union of India / कल्याणेश्विी िनाम भािि संघ

Ans. [B]



60. Who among the following is considered as the father of PIL in India? / वनम्नलिखित में से वकसे भारत में पी.आई.एि. का जनक 

माना जाता है ?

(A) Justice S.R. Das / धयायमूर्ििं एस. आि. दास

(B) Justice V.R. Krishna Iyer / धयायमूर्ििं िी. आि. कृ ष्णा अय्यि

(C) Justice P.N. Bhagwati / धयायमूर्ििं पी. एन. भगविी

(D) Justice H.R. Khanna / धयायमूर्ििं एच. आि. खधना

Ans. [C]



61. Against which of the following a PIL cannot be filed? / वनम्नलिखित में से वकसके विरुद् जनवहत याधचका दायर नहीं की जा सकती ?

(A) Against a State Government / िाज्य सिकाि के खखिाफ

(B) Against Central Government / कें द्र सिकाि के खखिाफ

(C) Against a private party / तनजी पक्षकाि के खखिाफ

(D) Against Municipal Corporation / नगि तनगम के खखिाफ

Ans. [C]



62. In the light of the guidelines issued by the Supreme Court of India on which of the following issue a PIL cannot be 

entertained by the Court? / भारत के सिोच्च न्यायािय द्वारा जारी ददशावनदेशों के आिोक में वनम्नलिखित में से वकस मुद्दे पर न्यायािय द्वारा 

जनवहत याधचका पर विचारि नहीं वकया जा सकता है ? 

(A) Bonded labour matters. / िंिुआ मजदूिी के मामिे

(B) Petition from jail for pre-mature release. / समय से पहिे रिहाई के लिए जेि से याधचका

(C) Matters pertaining to neglected children. / उपेश्चक्षि िच्चों से संिंधिि मामि

(D) Petitions against police for refusing to register a case. / मामिा दजा किने से इनकाि किने पि पुलिस के खखिाफ याधचकाएाँ



63. In which of the following landmark case it was held that Principles of Natural Justice were applicable not only to 

judicial and quasi-judicial functions, but also to administrative functions? / वनम्नलिखित में से वकस ऐवतहालसक मामिे में यह 

वनिीत वकया गया वक प्राकृ वतक न्याय के लसद्ांत न के िि न्याधयक और अधव-न्याधयक कायों पर, बल्लक प्रशासवनक कायों पर भी िागू होते हैं ?

(A) A.K. Kraipak v Union of India / ए. के . क्रे पक िनाम भािि संघ

(B) Ram Jawaya Kapoor v State of Punjab / िाम जवाया कपूि िनाम पंजाि िाज्य

(C) Sonik Industries Rajkot v Municipal Corporation, Rajkot / सोतनक इंडस्ट्रीज िाजकोट िनाम नगि तनगम, िाजकोट

(D) Maneka Gandhi v Union of India / मेनका गांिी िनाम भािि संघ

Ans. [A]



64. In which of the following judgment the Supreme Court had comprehensively reconsidered S.P. Sampath Kumar v 

Union of India case? / वनम्नलिखित में से वकस िै सिे में सिोच्च न्यायािय ने एस.पी. संपत कु मार बनाम भारत संघ मामिे पर व्यापक पुनर्ििंचार 

वकया था ?

(A) J.B. Chopra v Union of India / जे.िी. चोप़िा िनाम भािि संघ

(B) L. Chandra Kumar v Union of India / एि. चंद्र कु माि िनाम भािि संघ

(C) R.K. Jain v Union of India / आि. के . जैन िनाम भािि संघ

(D) S.K. Sarkar v Vinay Chandra Mishra / एस. के . सिकाि िनाम तवनय चंद्र धमश्रा

Ans. [B]



65. Who among the following defined administrative law as 'the law relating to the control of governmental power'? 

/ वनम्नलिखित में से वकसने प्रशासवनक कानून को 'सरकारी सिा के वनयंत्रि से संबंधधत कानून' के रूप में पररभावषत वकया था ?

(A) Ivor Jennings / आइवि जेकनिंग्स

(B) Wade / वेड

(C) K.C. Davis / के .सी. डेतवस

(D) Garner / गानाि

Ans. [B]



66. What penalty is prescribed for persons illegally practising in courts under the Advocate Act, 1961 ? / अधधििा 

अधधवनयम, 1961 के तहत अदाितों में अिैध रूप से िकाित करने िािे व्यलियों के लिए क्या दंड वनधावररत है ?

(A) Imprisonment upto 3 months / 3 महीने िक की कै द

(C) Imprisonment upto 9 months / 9 महीने िक की कै द

(B) Imprisonment upto 6 months / 6 महीने िक की कै द

(D) Imprisonment upto 12 months / 12 महीने िक की कै द

Ans. [B]



67. Which provision of the Advocate Act, 1961 empowers the Bar Council of India to prescribe the standard of 

professional conduct and etiquette to be observed by advocates? / अधधििा अधधवनयम, 1961 का कौन सा प्रािधान बार 

काउंलसि ऑि इंधडया को अधधििाओं द्वारा पािन वकए जाने िािे पेशेिर आचरि और लशष्टाचार के मानक वनधावररत करने का अधधकार देता है ?

(A) Section 42 / िािा 42

(B) Section 42A / िािा 42ए

(C) Section 48A / िािा 48ए

(D) Section 49 / िािा 49

Ans. [D]



68. Which of the following is incorrect according to the Bar Council of India Rules?/ बार काउंलसि ऑि इंधडया के वनयमों के 

अनुसार वनम्नलिखित में से कौन सा गित है ?

(A) An Advocate can plead in any matter in which he is himself pecuniarily interested. / अधिविा ऐसे तकसी भी मामिे में पैिवी कि 

सकिा है जजसमें उसका स्ट्वयं का आर्थिंक तहि हो।

(B) An advocate shall appear in court at all times only in the prescribed dress. / अधिविा हि समय तनिाारिि पोशाक में ही अदािि में 

उपच्स्ट्थि होगा।

(C) An Advocate shall not stand as a surety for his client. / अधिविा अपने मुवच्क्कि के लिए जमानिदाि के रूप में ख़िा नहीं होगा।

(D) An Advocate shall not influence the decision of a court by any improper means. / अधिविा तकसी भी अनुधचि सािन से अदािि 

के फै सिे को रभातवि नहीं किेगा ।



69. Which of the following authority acts as an appellate authority against the order made by the disciplinary 

committee of the Bar Council of India ? / वनम्नलिखित में से कौन सा प्राधधकारी बार काउंलसि ऑि इंधडया की अनुशासनात्मक सधमवत 

द्वारा ददए गए आदेश के विरुद् अपीिीय प्राधधकारी के रूप में कायव करता है ?

(A) Chairman of the Bar Council of India / िाि काउंलसि ऑफ इंधडया के अध्यक्ष

(B) Vice-chairman of the Bar Council of India / िाि काउंलसि ऑफ इंधडया के उपाध्यक्ष

(C) High Courts / उच्च धयायािय

(D) Supreme Court of India / भािि का सवोच्च धयायािय

Ans. [D]



70. In which of the following situations a one person company (OPC) will mandatorily get converted into either 

private or public company? / वनम्नलिखित में से वकस ल्स्थवत में एकि व्यलि कं पनी (ओपीसी) अवनिायव रूप से वनजी या सािवजवनक कं पनी में 

पररिर्तिंत हो जाएगी ?

(A) In case the paid-up share capital of an OPC exceeds twenty-five lakh rupees. / यदद तकसी ओपीसी की चुकिा शेयि पूाँजी पच्चीस 

िाख रुपये से अधिक हो।

(B) In case the paid-up share capital of an OPC exceeds fifty lakh rupees. / यदद तकसी ओपीसी की चुकिा शेयि पूाँजी पचास िाख रुपये से 

अधिक हो ।

(C) In case the paid-up share capital of an OPC exceeds seventy-five lakh rupees. / यदद तकसी ओपीसी की चुकिा शेयि पूाँजी पचहिि 

िाख रुपये से अधिक हो।

(D) In case the paid-up share capital of an OPC exceeds one crore rupees. / यदद तकसी ओपीसी की चुकिा शेयि पूाँजी एक किो़ि रुपये से 

अधिक हो।

Ans. [B]



71. What is the minimum number of directors required for a public company as per the Companies Act, 2013? / कं पनी 

अधधवनयम, 2013 के अनुसार वकसी सािवजवनक कं पनी के लिए वनदेशकों की न्यूनतम संख्या वकतनी होती है ?

(A) 2 

(B) 3 

(C) 5 

(D) 7 

Ans. [B]



72. In which of the following case the Supreme Court of India had explained the Precautionary Principle in details? /

वनम्नलिखित में से वकस मामिे में भारत के सिोच्च न्यायािय ने एहवतयाती लसद्ांत की विस्तार से व्याख्या की थी ?

(A) Vellore Citizens' Welfare Forum v Union of India / वेल्िोि नागरिक कल्याण मंच िनाम भािि संघ

(B) A.P. Pollution Control Board v M.V. Nayudu / ए.पी. रदूषण तनयंत्रण िोडा िनाम एम.वी. नायडू

(C) Indian Council for Enviro-Legal Action v Union of India / इंधडयन काउंलसि फॉि एनवायिो-िीगि एक्शन िनाम यूतनयन ऑफ इंधडया

(D) M.C. Mehta v Kamal Nath / एम. सी. मेहिा िनाम कमि नाथ

Ans. [A]



73. Which of the following is a landmark case on the public trust doctrine in the Environmental Law? / वनम्नलिखित में से 

कौन सा पयाविरि कानून में िोक-न्यास लसद्ांत पर एक ऐवतहालसक मामिा है ?

(A) Vellore Citizens' Welfare Forum v Union of India / वेल्िोि नागरिक कल्याण मंच िनाम भािि संघ

(B) Olga Tellis v Bombay Municipal Corporation / ओल्गा टेलिस िनाम िम्िई नगि तनगम

(C) Indian Council for Enviro-Legal Action v Union of India / इंधडयन काउंलसि फॉि एनवायिो-िीगि एक्शन िनाम यूतनयन ऑफ इंधडया

(D) M.C. Mehta v Kamal Nath / एम.सी. मेहिा िनाम कमि नाथ

Ans. [D]



74. In which of the following case Section 66A of the Information Technology Act, 2000 was struck down by the 

Supreme Court? / वनम्नलिखित में से वकस मामिे में सूचना प्रौद्योवगकी अधधवनयम, 2000 की धारा 66ए को सिोच्च न्यायािय द्वारा रद्द कर ददया 

गया था ?

(A) Shreya Singhal v Union of India / श्रेया ससिंघि िनाम भािि संघ

(B) Kartar Singh v State of Punjab / कििाि ससिंह िनाम पंजाि िाज्य

(C) K.A. Abbas v Union of India / के .ए. अब्िास िनाम भािि संघ

(D) Maneka Gandhi v Union of India / मेनका गांिी िनाम भािि संघ

Ans. [A]



75. In which of the following case an electronic record shall not be attributed to the originator as per the Information 

Technology Act, 2000? / वनम्नलिखित में से वकस मामिे में सूचना प्रौद्योवगकी अधधवनयम, 2000 के अनुसार इिेक्रॉवनक ररकॉडव प्रितवक को 

उपरोवपत नहीं वकया जाएगा ?

(A) Electronic record sent by the originator himself. / रविाक द्वािा स्ट्वयं भेजा गया इिेक्रॉतनक रिकॉडा

(B) Electronic record sent by an authorised person. / तकसी अधिकृ ि व्यलि द्वािा भेजा गया इिेक्रॉतनक रिकॉडा

(C) Electronic record sent by an automated system programmed by him. / उसके द्वािा रोग्राम तकए गए स्ट्वचालिि लसस्ट्टम द्वािा भेजा गया 

इिेक्रॉतनक रिकॉडा

(D) Electronic record sent by an unauthorized person. / तकसी अनधिकृ ि व्यलि द्वािा भेजा गया इिेक्रॉतनक रिकॉडा

Ans. [D]



76. What is the maximum period for which any woman shall be entitled to maternity benefit under the Maternity 

Benefit Act, 1961 ? / मातृत्ि िाभ अधधवनयम, 1961 के तहत एक मवहिा अधधकतम वकतनी अिधध तक मातृत्ि िाभ की हकदार है ?

(A) 6 weeks / 6 सप्िाह

(B) 8 weeks / 8 सप्िाह

(C) 12 weeks / 12 सप्िाह

(D) 26 weeks / 26 सप्िाह

Ans. [D]



77. For what duration is a woman entitled to leave with wages for tubectomy operation as per the Maternity Benefit 

Act, 1961 ? / मातृत्ि िाभ अधधवनयम, 1961 के अनुसार ट्यूबेक्टॉमी ऑपरेशन के लिए एक मवहिा वकतनी अिधध तक सिेतन छु ट्टी की हकदार है ?

(A) 2 weeks / 2 सप्िाह

(B) 4 weeks / 4 सप्िाह

(C) 6 weeks / 6 सप्िाह

(D) 8 weeks / 8 सप्िाह

Ans. [A]



78. What should be the minimum number of workers originally employed in any factory for having at least one 

canteen in the factory as per the Factories Act, 1948 ? / फै क्टरी अधधवनयम, 1948 के अनुसार वकसी भी फै क्टरी में कम से कम एक 

कैं टीन होने के लिए मूि रूप से वनयोजजत श्रधमकों की न्यूनतम संख्या वकतनी होनी चावहए ?

(A) 100 workers / 100 श्रधमक

(B) 150 workers / 150 श्रधमक

(C) 200 workers / 200 श्रधमक

(D) 250 workers / 250 श्रधमक

Ans. [D]



79. Who among the following is not included in the definition of a workman as per the Industrial Disputes Act, 1947 ?

/ औद्योवगक वििाद अधधवनयम, 1947 के अनुसार वनम्नलिखित में से कौन श्रधमक की पररभाषा में शाधमि नहीं है ? 

(A) A supervisor drawing monthly salary of 6,000. / ₹6,000 मालसक वेिन राप्ि किने वािा पयावेक्षक

(B) A supervisor drawing monthly salary of 8,000. / ₹8,000 मालसक वेिन राप्ि किने वािा पयावेक्षक

(C) A supervisor drawing monthly salary of 10,000. / ₹10,000 मालसक वेिन राप्ि किने वािा पयावेक्षक

(D) A supervisor drawing monthly salary of 12,000. / ₹12,000 मालसक वेिन राप्ि किने वािा पयावेक्षक

Ans. [C]



80. Who has defined tort as 'tortious liability arises from the breach of duty primarily fixed by law; this duty is 

towards persons generally and its breach is redressible by an action for unliquidated damages'? / अपकृ त्य को 

अपकृ त्यपूिव दाधयत्ि मुख्य रूप से कानून द्वारा वनधावररत कतवव्य के उलिंघन से उत्पन्न होता है; यह कतवव्य आमतौर पर व्यलियों के प्रवत है और इसका 

उलिंघन अपररवनधावररत क्षवत के लिए कारविाई द्वारा वनिारिीय है' के रूप में वकसने पररभावषत वकया है ?

(A) Lindsell / सििंडसेि

(B) Pollock / पोिक

(C) Salmond / सािमण्ड

(D) Winfield / तवनफील्ड

Ans. [D]



81. Gloucester Grammar School case relates to which of the following important maxims ? / मोटर िाहन अधधवनयम, 1988 का 

वनम्नलिखित में से कौन सा प्रािधान वबना दोष दाधयत्ि से संबंधधत है ?

(A) Damnum sine injuria / डेमनम साइन इंजुरिया

(B) Injuria sine demno / इंजुरिया साइन डेमनो

(C) Ubi jus ibi remedium / उिी जस इिी िेमेधडयम

(D) Volenti non fit injuria / िोिेंटी नॉन तफट इंजुरिया

Ans. [A]



82. Which of the following provision of the Motor Vehicles Act, 1988 relates to no fault liability? / मोटर िाहन अधधवनयम, 

1988 का वनम्नलिखित में से कौन सा प्रािधान वबना दोष दाधयत्ि से संबंधधत है ?

(A) Section 140 / िािा 140

(B) Section 151 / िािा 151

(C) Section 162 / िािा 162

(D) Section 128 / िािा 128

Ans. [A]



83. How many consumer rights are identified under the Consumer Protection Act, 2019 ? / उपभोिा संरक्षि अधधवनयम, 2019

के तहत वकतने उपभोिा अधधकारों की पहचान की गई है ?

(A) 2 

(B) 4 

(C) 6 

(D) 8 

Ans. [C]



84. Which of the following body constituted under the Consumer Protection Act, 2019 is authorised to render advice 

on promotion and protection of consumers' right under the Act? / उपभोिा संरक्षि अधधवनयम, 2019 के तहत गदित 

वनम्नलिखित में से कौन सा वनकाय अधधवनयम के तहत उपभोिाओं के अधधकार के संिधवन और संरक्षि पर सिाह देने के लिए अधधकृ त है ? 

(A) Central Consumer Protection Authority / कें द्रीय उपभोिा संिक्षण राधिकिण

(B) Central Consumer Protection Council / कें द्रीय उपभोिा संिक्षण परिषद

(C) State Consumer Protection Authority / िाज्य उपभोिा संिक्षण राधिकिण

(D) State Consumer Protection Council / िाज्य उपभोिा संिक्षण परिषद

Ans. [A]



85. Which of the following provision of the Constitution of India states that no tax can be levied or collected except 

by authority of law?/ भारत के संविधान के वनम्नलिखित में से कौन से प्रािधान में कहा गया है वक कानूनी प्राधधकार के अिािा कोई भी कर 

िगाया या एकत्र नहीं वकया जा सकता है ? 

(A) Article 246 / अनुच्छेद 246

(B) Article 256 / अनुच्छेद 256

(C) Article 260 / अनुच्छेद 260

(D) Article 265 / अनुच्छेद 265

Ans. [D]



86. Which of the following would be the first previous year in case of a business or profession newly set up on 31st 

March, 2020 as per the Income Tax Act, 1961 ? / आयकर अधधवनयम, 1961 के अनुसार 31 माचव, 2020 को नि स्थावपत वकसी व्यिसाय 

या पेशे के मामिे में वनम्नलिखित में से कौन सा पहिा वपछिा िषव होगा ?

(A) Start from 1st April, 2019 and will end on 31st March, 2020. /1 अरैि, 2019 से शुरू औि 31 माचा, 2020 को समाप्ि होने वािा

(B) Start from 31st March, 2020 and will end on 31st March, 2020. /31 माचा, 2020 से शुरू औि 31 माचा, 2020 को समाप्ि होने वािा

(C) Start from 1st April, 2020 and will end on 31st December, 2020./ 1 अरैि, 2020 से शुरू औि 31 ददसंिि, 2020 को समाप्ि होने वािा

(D) Start from 1st January, 2020 and will end on 31st March, 2020/. 1 जनविी, 2020 से शुरू औि 31 माचा, 2020 को समाप्ि होने वािा

Ans. [B]



87. As per the Income Tax Act, 1961 a person is said to be resident of India in any previous year if he had been in India 

for a period of the following number of days in the previous year: / आयकर अधधवनयम, 1961 के अनुसार वकसी व्यलि को वकसी 

भी वपछिे िषव में भारत का वनिासी माना जाता है यदद िह वपछिे िषव में वनम्नलिखित ददनों की अिधध के लिए भारत में रहा हो :

(A) 180 days /180 ददन

(B) 182 days /182 ददन

(C) 184 days /184 ददन

(D) 186 days /186 ददन

Ans. [B]



88. Income is defined under which of the following provision of the Income Tax Act, 1961 ?/ आयकर अधधवनयम, 1961 के 

वनम्नलिखित में से वकस प्रािधान के तहत आय को पररभावषत वकया गया है ?

(A) Section 2(31)/ िािा 2(31)

(B) Section 2(24) / िािा 2 (24)

(C) Section 2(9) / िािा 2(9)

(D) Section 3 / िािा 3

Ans. [B]


89. Which of the following is not a fraud as per the Indian Contract Act, 1872 ? / भारतीय अनुबंध अधधवनयम, 1872 के अनुसार 

वनम्नलिखित में से कौन सा धोिाधड़ी नहीं है ?

(A) A promise made without intention of performing it. / वह वादा जजसे पूिा किने के इिादे के तिना तकया गया हो |

(B) An active concealment of fact by one having knowledge of the fact. / िथ्य का ज्ञान िखने वािे व्यलि द्वािा िथ्य को सतक्रय रूप से 

धछपाना ।

(C) Mere silence if not duty bound to speak/. यदद िोिने का किाव्य नहीं हो िो के वि मौन िहना ।

(D) Any act or omission law specifically declares to be fraudulent. / वह काया या चूक जजसे कानून तवशेष रूप से िोखाि़िी घोतषि कििा हो ।

Ans. [C]



90. Which of the following statement is correct if A, intending to deceive B, falsely represents that five hundred 

maunds of indigo are made annually at A's factory, and thereby induces B to buy the factory?/ A, B को धोिा देने के 

इरादे से, झूिा ििवन करता है वक A के कारिाने में सािाना पाुँच सौ मन नीि बनाया जाता है और इस तरह B को कारिाना िरीदने के लिए प्रेररत करता 

है। उपरोि कथन के आिोक में सही विकलप का उिर दीजजये ।

(A) Contract is void ab initio./ अनुिंि रािंभ से ही शूधय है।

(B) Contract is voidable at the option of A./ अनुिंि A के तवकल्प पि शूधयकिणीय है ।

(C) Contract is voidable at the option of B./ अनुिंि B के तवकल्प पि शूधयकिणीय है ।

(D) Contract is voidable at the option of A & B./ अनुिंि A औि B के तवकल्प पि शूधयकिणीय है।

Ans. [C]



91. Which of the following injunction can be granted only by the decree made at hearing and upon the merit of the 

suit?/ वनम्नलिखित में से कौन सी वनषेधाज्ञा सुनिाई के समय और मुकदमे के गुि-दोष के आधार पर के िि धडक्री द्वारा दी जा सकती है ?

(A) Temporary injunction/ अस्ट्थायी तनषेिाज्ञा

(B) Perpetual injunction/ शाश्वि तनषेिाज्ञा

(C) Mandatory injunction/ अतनवाया तनषेिाज्ञा

(D) Prohibitory injunction/ तनषेिात्प्मक तनषेिाज्ञा

Ans. [B]



92. A stipulation in a bond for payment of compound interest on failure to pay simple interest at the same rate as 

was payable upon the principal is not a penalty within the meaning of which of the following provision of the 

Indian Contract Act, 1872 ? / मूिधन पर देय साधारि ब्याज का भुगतान करने में विििता पर उसी दर पर चक्रिृजद् ब्याज के भुगतान के लिए 

बांड में शतव भारतीय अनुबंध अधधवनयम, 1872 के वनम्नलिखित में से वकस प्रािधान के अथव में जुमावना नहीं है?

(A) Section 73/ िािा 73

(B) Section 74/ िािा 74

(C) Section 75/ िािा 75

(D) Section 76/ िािा 76

Ans. [B]



93. What is the default interest payable under Section 63A of the Transfer of Property Act, 1882?/ संपलि अन्तरि अधधवनयम, 

1882 की धारा 63ए के तहत देय धडफॉलट ब्याज वकतना है?

(A) 6% per annum/6% रति वषा

(B) 8% per annum/ 8% रति वषा

(C) 9% per annum/ 9% रति वषा

(D) No default rate prescribed. / कोई धडफ़ॉल्ट दि तनिाारिि नहीं है।

Ans. [C]


94. Which of the following is the time limit given under Section 17 of the Transfer of Property Act, 1882?/ संपलि अन्तरि 

अधधवनयम, 1882 की धारा 17 के तहत वनम्नलिखित में से कौन सी समय सीमा दी गई है?

(A) Life of the transferee/ अधिरििी का जीवन काि

(B) A period of 18 years from the date of transfer./ अधििण की िािीख से 18 वषा की अवधि

(C) Either (A) or (B) whichever is longer/(A) या (B), जजसकी भी अवधि अधिक हो

(D) Neither (A) nor (B) / न िो (A) औि न ही (B)

Ans. [C]



95. Which of the following is not a negotiable instrument as per the Negotiable Instruments Act, 1881 ?/ परक्राम्य लिित 

अधधवनयम, 1881 के अनुसार वनम्नलिखित में से कौन सा परक्राम्य लिित नहीं है?

(A) Promissory note/ वचन-पत्र

(B) Hundi/ हंडी

(C) Bill of exchange/ तवतनमय-पत्र

(D) Cheque/ चैक

Ans. [B]



96. In the light of Negotiable Instruments Act, 1881, at what rate interest will be charged if the rate of interest is not 

mentioned on the negotiable instruments?/ परक्राम्य लिित अधधवनयम, 1881 के आिोक में, यदद परक्राम्य लिित पर ब्याज दर का 

उलिेि नहीं है तो वकस दर से ब्याज लिया जाएगा?

(A) 6% per annum/ 6% रति वषा

(B) 10% per annum/10% रति वषा

(C) 18% per annum/ 18% रति वषा

(D) 20% per annum/ 20% रति वषा

Ans. [C]



97. Within what period from the date of publication of the declaration, if no award is made, the entire proceedings 

for the acquisition of land shall lapse as per the Right to Fair Compensation and Transparency in Land Acquisition, 

Rehabilitation and Resettlement Act, 2013 ?/ घोषिा के प्रकाशन की तारीि से वकस अिधध के भीतर यदद कोई अधधवनिवय नहीं ददया जाता है तो भूधम अधधग्रहि, पुनिावस और पुनस्थावपन में उधचत मुआिजा और पारदर्शिंता का अधधकार अधधवनयम, 2013 के अनुसार भूधम अधधग्रहि की 

पूरी कायविाही समाप्त हो जाएगी ?

(A) 6 months/ 6 महीने

(B) 12 months/ 12 महीने

(C) 18 months/ 18 महीने

(D) 24 months/24 महीने



98. What is the minimum percentage of affected families that need to give their prior consent for acquiring land for 

private companies as per the Right To Fair Compensation and Transparency in Land Acquisition, Rehabilitation 

and Resettlement Act, 2013?/ प्रभावित पररिारों का न्यूनतम प्रवतशत वकतना है जजन्हें भूधम अधधग्रहि, पुनिावस और पुनस्थावपन में उधचत 

मुआिजा और पारदर्शिंता का अधधकार अधधवनयम, 2013 के अनुसार वनजी कं पवनयों के लिए भूधम अधधग्रहि करने के लिए अपनी पूिव सहमवत देनी होती 

है ? 

(A) 75%

(B) 80%

(C) 90% 

(D) 100%



99. Imagine an IPL team sets up a company to sell its own range of clothes. What type of intellectual property can the 

team use to show that the clothes are made by them?/ कलपना कीजजए वक एक आईपीएि टीम अपने कपड़ों की रेंज बेचने के लिए 

कं पनी स्थावपत करती है। टीम वकस प्रकार की बौजद्क संपदा का उपयोग यह ददिाने के लिए कर सकती है वक कपड़े उनके द्वारा बनाए गए है ? 

(A) Patents/ पेटेंट

(B) Geographical Indications/ भौगोलिक संके िक

(C) Trademarks/ रेडमाका

(D) Registered designs/ पंजीकृ ि धडजाइन

Ans. [C]



100. How long do patents usually last for?/ आमतौर पर पेटेंट की अिधध वकतनी होती है ?

(A) 10 years/ 10 वषा

(B) 20 years/ 20 वषा

(C) 25 years/ 25 वषा

(D) 50 years/ 50 वषा

Ans. [B]

அரசியலமைப்பின் முகவுரையின் முக்கியத்துவத்தையும், அரசியலமைப்பின் விதிகளை விளக்குவதில் அதன் பொருத்தத்தையும் ஆராயுங்கள்

*முன்னுரை என்றால் என்ன? முன்னுரையின் அர்த்தத்தையும் முக்கியத்துவத்தையும் விவாதிக்கவும்.*
Or
*அரசியலமைப்பின் முகவுரையின் முக்கியத்துவத்தையும், அரசியலமைப்பின் விதிகளை விளக்குவதில் அதன் பொருத்தத்தையும் ஆராயுங்கள்.*

இந்திய அரசியலமைப்பின் முகவுரை-இந்திய அரசியலமைப்பின் முகவுரை அதன் முக்கிய அம்சமாகும், ஏனெனில் இது அரசியலமைப்பு மக்களுக்கு பாதுகாக்க விரும்பும் முக்கிய நோக்கங்களை அமைக்கிறது. அரசியலமைப்பை உருவாக்கியவர்கள் முகவுரைக்கு "பெருமைக்கான இடத்தை" வழங்கினர். பிரிட்டிஷ் ஆட்சியின் போது நாடு போராடிய அனைத்து இலட்சியங்களையும் அபிலாஷைகளையும் இது உள்ளடக்கியது. பெருபாரி வழக்கில் ஏ. ஐ. ஆர் 1960 எஸ். சி 845 உச்ச நீதிமன்றம், அரசியலமைப்பின் முன்னுரை தயாரிப்பாளர்களின் மனதைத் திறப்பதற்கான ஒரு திறவுகோல் என்றும், அரசியலமைப்பில் பல விதிகளை அவர்கள் உருவாக்கிய பொதுவான நோக்கத்தைக் காட்டுகிறது என்றும் கூறியுள்ளது.
இந்திய அரசியலமைப்பின் முகவுரை அறிவிக்கிறதுஃ "இந்திய மக்களாகிய நாம், இந்தியாவை ஒரு இறையாண்மை, சோசலிச, மதச்சார்பற்ற, ஜனநாயக குடியரசாக உருவாக்கவும், அதன் அனைத்து குடிமக்களுக்கும் நீதி, சமூக பொருளாதாரம் மற்றும் அரசியல் ஆகியவற்றைப் பெறவும் உறுதியுடன் தீர்மானித்துள்ளோம்.

சுதந்திரம், சிந்தனை, வெளிப்பாடு, நம்பிக்கை, நம்பிக்கை மற்றும் வழிபாடு;

அந்தஸ்து மற்றும் வாய்ப்பின் சமத்துவம்;


மேலும் அவர்கள் அனைவரிடமும் சகோதரத்துவத்தை மேம்படுத்துதல், தனிநபரின் கண்ணியம் மற்றும் தேசத்தின் ஒற்றுமை மற்றும் ஒருமைப்பாட்டை உறுதி செய்தல்.

1949 ஆம் ஆண்டு நவம்பர் மாதத்தின் இந்த இருபத்தி ஆறாவது நாளில் நமது அரசியலமைப்பு சபையில் இந்த அரசியலமைப்பை ஏற்றுக்கொண்டு, இயற்றி, நமக்குக் கொடுங்கள் ".
ஏ. ஐ. ஆர் 1960 எஸ்சி 845:1960 எஸ்சிஜே 933 உச்ச நீதிமன்றம் பெருபாரி வழக்கில் முகவுரை அரசியலமைப்பின் ஒரு பகுதியாக கருதப்படவில்லை. "முன்னுரை அரசியலமைப்பின் ஒரு பகுதியாக இல்லை, மேலும் இது இந்திய ஒன்றிய அரசாங்கத்திற்கோ அல்லது அதன் எந்தவொரு துறைக்கும் வழங்கப்பட்ட எந்தவொரு கணிசமான அதிகாரத்தின் ஆதாரமாகவும் கருதப்படவில்லை. அத்தகைய அதிகாரங்கள் அரசியலமைப்புச் சட்டத்தில் வெளிப்படையாக வழங்கப்பட்டவற்றையும், அவ்வாறு வழங்கப்பட்டவற்றிலிருந்து குறிக்கப்படக்கூடியவற்றையும் மட்டுமே உள்ளடக்கியது ".

ஆனால் கேஷ்வானந்தா பாரதியின் ஏ. ஐ. ஆர் 1973 எஸ். சி 1461 வழக்கில் உச்ச நீதிமன்றம் மேற்கூறிய கருத்தை நிராகரித்து, முகவுரை அரசியலமைப்பின் ஒரு பகுதி என்று தீர்ப்பளித்தது. அப்போது, மாண்புமிகு தலைமை நீதிபதி சிக்ரி இந்த வழக்கில் பின்வருமாறு குறிப்பிட்டுள்ளார், "நமது அரசியலமைப்பின் முகவுரை மிகவும் முக்கியத்துவம் வாய்ந்தது என்றும், முகவுரையில் வெளிப்படுத்தப்பட்ட மகத்தான மற்றும் உன்னதமான பார்வையின் வெளிச்சத்தில் அரசியலமைப்பு படிக்கப்பட்டு விளக்கப்பட வேண்டும் என்றும் எனக்குத் தோன்றுகிறது". உண்மையில், அரசியலமைப்பின் 368 வது பிரிவின் கீழ் நாடாளுமன்றத்தின் திருத்த அதிகாரத்தின் மீது மறைமுகமான வரம்புகளை செலுத்துவதில் முகவுரை நம்பியிருந்தது. இந்த வழக்கில், முகவுரையின் "அடிப்படை கூறுகளை" பிரிவு 368 இன் கீழ் திருத்த முடியாது என்று தீர்ப்பளிக்கப்பட்டது.

S.R. இல் பொம்மை வி. யூனியன் ஆஃப் இந்தியா, ஏ. ஐ. ஆர் 1994 எஸ். சி 1918-மாண்புமிகு கே. ராமசாமி ஜே. "அரசியலமைப்பின் முகவுரை அரசியலமைப்பின் ஒருங்கிணைந்த பகுதியாகும், அரசாங்கத்தின் ஜனநாயக வடிவம், கூட்டாட்சி அமைப்பு, ஒருமைப்பாடு மற்றும் தேசத்தின் ஒற்றுமை, மதச்சார்பின்மை, சோசலிசம், சமூக நீதி மற்றும் நீதித்துறை மறுஆய்வு ஆகியவை இந்திய அரசியலமைப்பின் அடிப்படை அம்சங்களாகும்".

அரசியலமைப்பின் முகவுரை பின்வரும் நோக்கங்களுக்காக அதன் முக்கியத்துவத்தின் விஷயங்களாக செயல்படுகிறதுஃ 

(1) இது அரசியலமைப்பு நடைமுறைக்கு வந்த ஆதாரத்தை குறிக்கிறது, அதாவது i.e. இந்திய மக்கள்.

(2) அரசியலமைப்பை நடைமுறைக்கு கொண்டு வரும் சட்டமியற்றும் பிரிவு இதில் உள்ளது.

(3) இந்திய மக்கள் அனைத்து குடிமக்களுக்கும் பாதுகாக்க விரும்பும் உரிமைகள் மற்றும் சுதந்திரங்கள் மற்றும் நிறுவப்பட வேண்டிய அரசு மற்றும் அரசியலின் அடிப்படை கட்டமைப்பை இது அறிவிக்கிறது.

அரசியலமைப்புச் சட்டத்தின் நோக்கங்கள். - என்றார். குடியரசின் நோக்கங்கள் அதன் மக்களுக்கு நீதி, சுதந்திரம் மற்றும் சகோதரத்துவம், தனிநபரின் கண்ணியம் மற்றும் தேசத்தின் ஒற்றுமை மற்றும் ஒருமைப்பாடு ஆகியவற்றைப் பாதுகாப்பதாகும். இந்த வெளிப்பாடுகள் அரசியலமைப்பில் துல்லியமாக வரையறுக்கப்படவில்லை என்றாலும், அவை அடிப்படை உரிமைகள் மற்றும் மாநிலக் கொள்கையின் வழிகாட்டும் கொள்கைகளைக் கையாளும் அரசியலமைப்பின் பகுதி III மற்றும் IV ஆல் உள்ளடக்கங்கள் வழங்கப்பட்டிருப்பதால் அவை வெறும் தந்திரங்கள் அல்ல.


கேஸ்வானந்த் பாரதியின் வழக்கில், முன்னுரை அரசியலமைப்பின் ஒரு பகுதி என்றும், எனவே 368 வது பிரிவின் கீழ் திருத்தும் அதிகாரத்தின் கீழ் நாடாளுமன்றத்தால் திருத்தப்படலாம் என்றும் தீர்ப்பளிக்கப்பட்டுள்ளது. எவ்வாறாயினும், நாடாளுமன்றத்தின் திருத்தும் அதிகாரத்தின் ஒரே வரம்பு என்னவென்றால், அது முன்னுரையில் உள்ள அடிப்படை அம்சங்களை அழிக்கும் வகையில் அதன் திருத்தும் அதிகாரத்தைப் பயன்படுத்தக்கூடாது.

ரிசர்ச் சென்டர் வி. யூனியன் ஆஃப் இந்தியா, ஏ. ஐ. ஆர் 1995 எஸ். சி 922-உச்ச நீதிமன்றம் கூறியது-"இந்திய அரசியலமைப்பின் முகவுரை மற்றும் பிரிவு 38-உச்ச சட்டம், சமூக நீதியை அதன் வளைவாகக் கருதுகிறது, இது வாழ்க்கை அர்த்தமுள்ளதாகவும், மனித கண்ணியத்துடன் வாழக்கூடியதாகவும் இருப்பதை உறுதி செய்கிறது. சமத்துவ சமூக, பொருளாதார மற்றும் அரசியல் ஜனநாயகத்தை உருவாக்குவதற்கு நீதி, சுதந்திரம், சமத்துவம் மற்றும் சகோதரத்துவம் ஆகியவற்றை உச்ச மதிப்புகளாக அரசியலமைப்பு கட்டளையிடுகிறது. சமூக நீதி, சமத்துவம் மற்றும் மக்களின் கண்ணியம் ஆகியவை சமூக ஜனநாயகத்தின் மூலக்கல்லுகளாகும். இந்திய அரசியலமைப்புச் சட்டம் உருவாக்கிய 'சமூக நீதி' என்ற கருத்து ஒவ்வொரு குடிமகனின் ஆளுமையின் ஒழுங்கான வளர்ச்சிக்கும் வளர்ச்சிக்கும் அவசியமான பல்வேறு கொள்கைகளைக் கொண்டுள்ளது. "சமூக நீதி" என்பது பொதுவான அர்த்தத்தில் நீதியின் ஒருங்கிணைந்த பகுதியாகும். நீதி என்பது ஒரு இனமாகும், இதில் சமூக நீதி அதன் இனங்களில் ஒன்றாகும்.

இந்திய அரசியலமைப்புச் சட்டத்தின் தன்மை என்ன? இந்திய அரசியலமைப்பு ஒருமைப்பாட்டு அம்சங்களுடன் கூட்டாட்சி தன்மை கொண்டது என்று சொல்வது சரியா?

 இந்திய அரசியலமைப்புச் சட்டத்தின் தன்மை என்ன? இந்திய அரசியலமைப்பு ஒருமைப்பாட்டு அம்சங்களுடன் கூட்டாட்சி தன்மை கொண்டது என்று சொல்வது சரியா?


Or




அனைத்து அரசியலமைப்புகளும் பொதுவாக இரண்டு பிரிவுகளாகப் பிரிக்கப்பட்டுள்ளன, ஒன்று கூட்டாட்சி மற்றும் மற்றொன்று ஒற்றுமை. ஒற்றையாட்சி அரசியலமைப்பின் கீழ் அரசாங்கத்தின் அதிகாரங்கள் ஒரு அரசாங்கத்தில் மையப்படுத்தப்பட்டுள்ளன, அதாவது பொதுவாக மத்திய அரசு மற்றும் மாநிலங்கள் அதற்கு அடிபணிகின்றன. ஆனால் ஒரு கூட்டாட்சி அரசியலமைப்பில் மத்திய மற்றும் மாநிலங்களுக்கு இடையே அதிகாரப் பகிர்வு உள்ளது, மேலும் இரண்டும் சுயாதீனமானவை மற்றும் ஒருவருக்கொருவர் ஒருங்கிணைக்கப்படுகின்றன. அமெரிக்க அரசியலமைப்பு கூட்டாட்சி அரசியலமைப்பின் ஒரு எடுத்துக்காட்டாக உலகளவில் கருதப்படுகிறது. இது இரட்டை அரசியல் அல்லது இரட்டை வடிவ அரசாங்கத்தை நிறுவுகிறது. ஒரு கூட்டாட்சி அரசியலமைப்பு பொதுவாக பின்வரும் அத்தியாவசிய பண்புகளைக் கொண்டுள்ளதுஃ -


(1) அதிகாரப் பகிர்வு. ஒரு கூட்டாட்சி அரசியலமைப்பு மத்திய மற்றும் மாநில அரசின் களத்தை வரையறுத்து வரையறுக்கிறது. ஒவ்வொரு அரசாங்கமும் அதன் சொந்த எல்லைக்குள் செயல்பட வேண்டும், மற்றவர்களின் களத்தை ஆக்கிரமிக்க முடியாது. மத்திய மற்றும் மாநிலங்களுக்கு இடையே இத்தகைய அதிகாரப் பகிர்வின் அடிப்படை என்னவென்றால், தேசிய முக்கியத்துவம் வாய்ந்த மற்றும் சீரான கொள்கை விரும்பத்தக்க விஷயங்கள் மத்திய அரசுக்கு வழங்கப்பட்டு, உள்ளூர் முக்கியத்துவம் வாய்ந்த விஷயங்கள் சட்டம் மற்றும் கட்டுப்பாட்டிற்காக மாநிலங்களுக்கு வழங்கப்படுகின்றன.


(2) எழுதப்பட்ட அரசியலமைப்பு. ஒரு கூட்டாட்சி அரசியலமைப்பு என்பது எழுதப்பட்ட அரசியலமைப்பு ஆகும். எழுத்துப்பூர்வமான அரசியலமைப்பு இருக்கும்போதுதான் மத்திய மற்றும் மாநில அரசுகளுக்கு இடையே அதிகாரப் பகிர்வு செய்ய முடியும். அரசாங்கத்தின் அனைத்து உறுப்புகளும் அரசியலமைப்பிலிருந்து தங்கள் அதிகாரங்களைப் பெறுகின்றன, மேலும் வரையறுக்கப்பட்ட வரம்புகளுக்குள் செயல்பட வேண்டும். அனைத்து சட்டங்களின் செல்லுபடியாகும் தன்மை அரசியலமைப்பின் விதிகளின்படி சோதிக்கப்படுகிறது.


(3) அரசியலமைப்பின் மேலாதிக்கம். - என்றார். ஒரு கூட்டாட்சி அமைப்பின் கீழ், அரசியலமைப்பு மிக உயர்ந்தது. அரசாங்கத்தின் அனைத்து உறுப்புகளும் அரசியலமைப்பால் தங்களுக்கு ஒதுக்கப்பட்ட துறைகளுக்குள் செயல்பட வேண்டும், மேலும் அவை மற்ற உறுப்புகளின் அதிகார வரம்பை ஆக்கிரமிக்க முடியாது. நீதித்துறை அரசியலமைப்பை விளக்கி, மற்றவர்களுக்கு ஒதுக்கப்பட்ட துறைகளில் அரசாங்கத்தின் பல்வேறு உறுப்புகளால் அதிகார வரம்பை மீறுவது இல்லை என்பதைக் கவனிக்க வேண்டும். அரசாங்கத்தின் பல்வேறு உறுப்புகளுக்கு இடையிலான மோதல்கள் அரசியலமைப்பின் விதிகளின்படி தீர்க்கப்படுகின்றன.


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(4) நீதிமன்றங்களின் பயனுள்ள பங்கு. - என்றார். கூட்டாட்சி அரசியலமைப்பின் கீழ் உள்ள நீதிமன்றங்களுக்கு, அரசியலமைப்பை விளக்குவதற்கும் அரசியலமைப்பின் மேலாதிக்கத்தை பராமரிப்பதற்கும் இறுதி அதிகாரம் உள்ளது. மத்திய மற்றும் மாநில அரசுகளுக்கு இடையிலான மோதல்களை அவை தீர்மானிக்கின்றன. அரசுகளுக்கிடையேயான மோதல்கள் குறித்த அவர்களின் முடிவுகள் இறுதியானவை. மேலும், நீதிமன்றங்கள் நாட்டின் குடிமக்களின் அடிப்படை உரிமைகளின் இரட்சகராக உள்ளன.


(5) கடினத்தன்மை-எழுதப்பட்ட அரசியலமைப்பின் இயல்பான விளைவு அதன் கடினத்தன்மை ஆகும். ஒரு கடுமையான அரசியலமைப்பில், அதன் திருத்தத்திற்கான நடைமுறை மிகவும் சிக்கலானது. இருப்பினும், அரசியலமைப்பு சட்டப்பூர்வமாக மாற்ற முடியாதது என்று இது அர்த்தப்படுத்துவதில்லை. இதன் பொருள் என்னவென்றால், அரசியலமைப்பைத் திருத்துவதற்கான அதிகாரம் மத்திய அல்லது மாநில அரசிடம் பிரத்தியேகமாக இருக்கக்கூடாது.


இந்திய அரசியலமைப்பு ஒரு கூட்டாட்சி அரசியலமைப்பின் மேற்கூறிய அனைத்து பண்புகளையும் கொண்டுள்ளது. இந்திய அரசியலமைப்பு இரட்டை அரசியல், மத்திய மற்றும் மாநில அளவில் நிர்வாக முறையை வழங்குகிறது, மேலும் மத்திய மற்றும் மாநில அளவில் அதிகாரப் பகிர்வு உள்ளது, மேலும் அரசாங்கத்தின் ஒவ்வொரு மட்டமும் அதன் துறையில் மிக உயர்ந்தது. இதேபோல் இந்திய அரசியலமைப்பு எழுதப்பட்ட மற்றும் உச்சமானது மற்றும் அதன் திருத்தத்தின் நடைமுறை கூட்டாட்சி தன்மையின்படி கடினம். மத்திய அரசுக்கும் மாநில அரசுக்கும் இடையேயான சர்ச்சையை தீர்க்க இந்திய உச்ச நீதிமன்றத்தை அரசியலமைப்பு நிறுவியது.

மாநிலத்தில் W.B. v. இந்திய யூனியன், AIR 1963 SC 1241 உச்ச நீதிமன்றம் இது உண்மையிலேயே கூட்டாட்சி அல்ல என்று பெரும்பான்மையால் தீர்ப்பளித்துள்ளது. எவ்வாறாயினும், சுபா ராவ் ஜே. தனது கருத்து வேறுபாட்டில் இந்திய அரசியலமைப்பை அடிப்படையில் கூட்டாட்சி என்று கருதினார்.


இருப்பினும், சில அறிஞர்கள் இந்திய அரசியலமைப்பு கூட்டாட்சி அல்ல என்று கருதுகின்றனர். பின்வரும் விஷயங்களில், இந்திய அரசியலமைப்பு கூட்டாட்சி கொள்கைகளின் மாற்றங்களைக் கொண்டுள்ளது மற்றும் அதை கூட்டாட்சியை விட ஒற்றுமையாக ஆக்குகிறது என்பதை அவர்கள் சுட்டிக்காட்டுகின்றனர்ஃ-


ஆளுநர்களின் நியமனம்-மாநிலங்களின் ஆளுநர்கள் இந்திய குடியரசுத் தலைவரால் நியமிக்கப்படுகிறார்கள் (சரத்து 155 மற்றும் 156) மற்றும் அவருக்கு பதிலளிக்க வேண்டும். அரசியலமைப்பில் விதிகள் உள்ளன, இதன் கீழ் ஆளுநர் சில மாநில சட்டங்களை குடியரசுத் தலைவரின் ஒப்புதலுக்காக அனுப்ப வேண்டும். அந்த மாநில சட்டங்களை வீட்டோ செய்ய ஜனாதிபதிக்கு அதிகாரம் உள்ளது (பிரிவு 200,288 (அ)). எவ்வாறாயினும், மாநில சட்டங்களை ஜனாதிபதி வீட்டோ செய்த பல எடுத்துக்காட்டுகள் இல்லை. இதற்கு ஒரே உதாரணம் கேரள கல்வி மசோதா. (Re Kerala Education Bill AIR 1958 SC 956).


349வது பிரிவின் கீழ், மாநிலங்களவை 2/3 வது பெரும்பான்மையால் ஒரு தீர்மானத்தை நிறைவேற்றினால், தேசிய நலனுக்காக அது அவசியம் என்று மாநிலப் பட்டியலில் குறிப்பிடப்பட்டுள்ள ஒவ்வொரு விஷயத்திலும் சட்டங்களை உருவாக்க நாடாளுமன்றத்திற்கு அதிகாரம் உள்ளது.


புதிய மாநிலங்களை உருவாக்குவதற்கான நாடாளுமன்றத்தின் அதிகாரம் மற்றும் தற்போதுள்ள மாநிலங்களின் பிற எல்லைகள். அரசியலமைப்புச் சட்டத்தின் 3ஆம் பிரிவு, புதிய மாநிலங்களை உருவாக்கவும், மாநிலத்தின் பரப்பளவை அதிகரிக்கவோ அல்லது குறைக்கவோ, மாநிலத்தின் எல்லைகளை மாற்றவோ நாடாளுமன்றத்திற்கு அதிகாரம் அளிக்கிறது.


(d) அவசரகால ஏற்பாடுகள். - என்றார். அரசியலமைப்பு மூன்று வகையான அவசரநிலைகளை வழங்குகிறதுஃ போர் அல்லது வெளிப்புற ஆக்கிரமிப்பு அல்லது ஆயுதக் கிளர்ச்சியால் எழும் அவசரநிலை (பிரிவு 352) மாநிலங்களில் அரசியலமைப்பு இயந்திரங்களின் தோல்வியால் எழுகிறது (பிரிவு 356) மற்றும் நிதி அவசரநிலை. (Article 360). 352 வது பிரிவின் கீழ் அவசரநிலை பிரகடனம் செய்யப்படும்போது, மத்திய மற்றும் மாநிலங்களுக்கு இடையிலான அதிகாரங்களின் இயல்பான பகிர்வு ஒரு முக்கிய மாற்றத்திற்கு உட்படுகிறது. மாநிலப் பட்டியலில் குறிப்பிடப்பட்டுள்ள எந்தவொரு விஷயத்திலும் சட்டங்களை இயற்ற நாடாளுமன்றத்திற்கு அதிகாரம் உள்ளது. 356ஆம் பிரிவின் கீழ், அரசியலமைப்பின் விதிகளின்படி ஒரு மாநில அரசை நடத்த முடியாது என்று குடியரசுத் தலைவர் திருப்தி அடைகிறார், அவர் மாநில அமைச்சகத்தை நீக்கி, சட்டமன்றத்தை கலைத்து, மாநிலத்தின் அனைத்து செயல்பாட்டாளர்களையும் எடுத்துக் கொள்ளலாம்.


மேற்கூறிய விதிகள் அரசியலமைப்பின் கூட்டாட்சி தன்மையை மாற்றியமைக்கின்றன என்பது உண்மைதான். அவசரகாலத்தின் போது அரசியலமைப்பு ஒரு ஒற்றையாட்சி அரசியலமைப்பாக மாற்றப்படுகிறது. ஆனால் அவசரநிலை முடிந்ததும் அரசியலமைப்பு ஒரு கூட்டாட்சி அரசியலமைப்பாக செயல்படுகிறது. நாட்டின் தனித்துவமான பிரச்சினைகளைக் கருத்தில் கொண்டு நடைமுறைக் கருத்தாய்வுகளின் அடிப்படையில் இந்த விதிகளை சட்டமியற்றுபவர்கள் இணைத்தனர். அவர்கள் மற்ற கூட்டமைப்புகளுக்குப் பொருந்தக்கூடிய கூட்டாட்சிக் கொள்கையை ஏற்றுக்கொண்டு, நாட்டின் தேவையைப் பூர்த்தி செய்வதற்காக இந்திய அரசியலமைப்பிற்கு ஏற்ப அதை மாற்றியமைத்தனர். எனவே, இந்திய அரசியலமைப்பு, கூட்டமைப்பின் பகுதியில் புதிய தைரியமான பரிசோதனையை உருவாக்குகிறது. இந்திய அரசியலமைப்பு முற்றிலும் கூட்டாட்சி அல்லது ஒற்றுமை அல்ல, ஆனால் இது இரண்டின் கலவையாகும். ஒற்றுமை மற்றும் கூட்டாட்சி முறையின் இந்த கலவையானது இந்திய அரசியலமைப்பின் தனித்துவமான அம்சமாகும். இந்திய அரசியலமைப்பு முக்கியமாக நாட்டின் ஒற்றுமை மற்றும் ஒருமைப்பாட்டைப் பாதுகாப்பதற்கான தனித்துவமான விதிகளைக் கொண்டுள்ளது.

இந்திய அரசியலமைப்பின் முக்கிய அம்சங்கள் / The salient features of Indian Constitution

 *The salient features of Indian Constitution.*



The Constitution of India is largest and most detailed Constitution in world. It originally consisted of 395 Articles divided into 22 parts and 8 schedules. The framers of Indian Constitution sought to incorporate the good provisions of all the existing constitutions of different countries in the world. Indian Constitution has borrowed Parliamentary system of Government from British Constitution. Framers of Indian Constitution incorporated provisions of `Fundamental Rights' from the Constitution of United States of America, `Directive Principles of State Policy' from Ireland, Power of Judicial Review to the Supreme Court has been taken from the Constitution of United States of America. Similarly India's federalism has been benefited from American provisions in this area. The Constitution of Canada and Australia have also been used to some extent for laying down some provisions of Constitution of India. The Constitution of India Occupies a unique place among the federal Constitutions of the World. This is due to its distinctive features. The chief characteristics of Indian Constitution are as follows :-


1. Longest Constitution of the World - The Indian Constitution is lengthiest and most detailed of all written Constitutions of the world. While the American Constitution originally consisted of 7 Articles, Australian Constitution 128 and Canadian Constitution 147 and Indian Constitution originally had 395 Articles. But till 78 the Amendment Act, of 1995 it consists of 443 Articles.


The Indian Constitution lays down the structure not only of Central Government but also of the States. The American Constitution on the other hand leaves the States to draw up their own Constitution. Because of peculiar problem of India like population, minorities, schedule class, Schedule tribe community peoples it had to incorporate many provisions.


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2. Democratic form of Government. - The Constitution of India constitutes India into a sovereign democratic republic. It thus provides for the establishment of a democratic form of government in the country. Justice, Liberty, Equality and Fraternity which are essential characteristics of a democracy are declared in the Preamble as the very objectives of the constitution. In a democracy the Government derives all its authority from the will of the people. Our rulers are elected representatives of the people and are responsible to the people. A sovereign government is a government which is not dependent upon any outside authority. India is a free and an independent country and free to determine is external and internal policies according to its own will.


3. Sovereignty of the People. - The Preamble of the Constitution declares that the people of India have adopted and given to themselves this constitution in exercise of their sovereign rights. The words "We the people of India" In our Constituent Assembly.......do hereby Adopt, Enact And give to ourselves this Constitution" make it clear that the real power is in the hands of the people of India both in the Union and in the States. The vesting of sovereignty in the people of the land marks the culmination of the struggle for independence and constitutes the corner stone of the future constitutional progress.


4. Parliamentary form of Government. - The Indian Constitution establishes a parliamentary form of Government of India both at the Centre and in the States as distinguished from the presidential form of the Government in America. The essential characteristics of parliamentary form of Government are the following :-

(a) the head of the State i.e. the President is the nominal and constitutional head but the real executive power is vested in the Council of Ministers whose head is the Prime Minister,


(b) The Council of Ministers is collectively responsible to the Lok Sabha.


(c) The members of the Council of Ministers are the elected members of the legislatures directly elected by the people. On the other hand, in a presidential form of the government the head of the State i.e. the President is the real executive directly elected by the people and responsible to the people.


5. Fundamental Rights. - The Constitution of India contains a long list of fundamental rights of citizens. These rights are necessary for the development of individual's personality. The legislature and the executive cannot take away these rights unless it is necessary to do so in the public interest. These rights are, however, not absolute rights. They are restricted rights and can be restricted, abridged and taken away, when it is necessary in the public interest.


6. Directive Principles of State Policy. - The Directive Principles of State Policy contained in Part IV of the Constitution set out the aims and objectives to be followed by the State in the governance of the country. Although they are not justiciable in the courts of law, yet they are very important and fundamental in the governance of country. No Government can ignore them. There is a political sanction behind them. The Central and State Governments are answerable to the electorate at the time of election for their implementation. The idea of the welfare state can be achieved only by implementing the various directive principles contained in the Constitution.


7. Mixture of rigidity with flexibility. - A rigid constitution is one which requires a special procedure for amendment of its provisions, while in a flexible constitution the provisions of the constitution can be amended by an ordinary legislative process. A written Constitution is generally said to be rigid. The Indian Constitution though written is sufficiently flexible. It is only a few provisions of the Constitution which can only to amended by special procedure i.e. requiring the consent of the half of State legislature majority of provisions of Constitution can be amended by Parliament by ordinary legislative process.


8. Fundamental Duties. - As per the recommendation of the Swaran Singh Committee (Chairman, Congress Committee on Constitutional Amendment), by the 42nd Amendment Act, 1976. 


10 Fundamental Duties have been added in the part IV A (Article 51-A) of the Indian Constitution. It shall be the duty of every citizen of India to abide by all the fundamental duties.


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9. Distribution of Legislative Powers. -


The Indian Constitution contains three lists under seventh Schedule :


(i) Union List - [Article 246(1) and Sch. VII] - This list contains 97 subjects. Parliament has exclusive power to make laws with respect to any of these subjects.


(ii) State List - [Article 246(3) and Sch. VII] - This list contains 66 subjects. The legislative of any State has exclusive power to make laws with respect to any of these subjects.


(iii) Concurrent List - [Article 246(2) and Sch. VII] - This list contains 47 subjects. Parliament and legislature of any State both have power to make laws with respect to any of these subjects.


Residuary Powers - Under Article 248 of the Indian Constitution, residuary powers are vested in the Centre.

Exceptions. - Articles 249, 250, 252 and 253 provides that Parliament can make laws on a matter specified in the State List in circumstances mentioned in these Arts.


10. Administrative relations between Union and States. - Articles 256 to 263 deals with Union control over States even in normal times through following ways :


(i) Direction by Union to the State Governments - Articles 256, 257 and 356.


(ii) Delegation of Union's function to the States - Article 258.


(iii) All India Services - Article 312.


(iv) Grant-in-aid.


(v) Disputes relating to water.


(vi) Public Acts, records and Judicial proceedings - Article 261.


(vii) Co-ordination between States - Provision for Inter-State Council - Article 263.


11. Unique Federation. - India, is a Unique Federation. It provides several unique features such as :


(i) No dual citizenship - There is single citizenship i.e., citizen of India.


(ii) At the time of emergency, it acquires a unitary character.


12. Uniformity in all basis matters. - The Indian Constitution adopts 3 means to maintain Administrative and Legislative unity.


(i) a single Judiciary.


(ii) Uniformity of fundamental laws, civil and criminal, and


(iii) Common all India services.


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13. Independent Judiciary. - The following provisions are intended to secure independence and impartiality of Supreme Court and High Courts :


(i) Appointment of Judges by President after consultation with judicial authorities. [Articles 124(2), 217]


(ii) Security of tenure is guaranteed to every judge. [Articles 124, 218]


(iii) Salaries are fixed and cannot be varied by legislature except during the period of proclaimed emergency. [Article 360]


(iv) Once appointed their privileges, rights and allowances cannot be altered to their disadvantage. [Article 125, 221]


(v) Supreme Court and High Court recruit their own staff and frame rules regarding conditions of service. [Articles 146, 229]


(vi) Salaries and allowances of judges is not put to the vote of legislature. [Articles 146, 229]


(vii) Salaries, allowances and Pensions of its officers are charged on the Consolidated Fund of India. [Articles 146, 229]


(viii) The Constitution bars judges of Supreme Court from pleading or appearing before any court or judicial authority in India even after retirement. [Articles 124(7), 220]


(ix) No discussion can take place in the legislature of a State or in Parliament with respect to the conduct of any judge of Supreme Court or of High Courts in discharge of his duties. [Articles 121, 211]


14. Rule of Law - The Indian Constitution embodies the modern concept of rule of law with establishment of judicial system which should be able to work impartially and free from all influences. The rule of law means Government on principles of law. The rule of law, pervades over entire field of administration, and every organ of State is regulated by the rule of law. Sir Edward Coke, the Chief Justice in James 1's reign was the originator of this concept. There are three meanings of the rule of law :-


(i) Supremacy of Law


(ii) Equality before the Law


(iii) Predominance of legal Spirit.


15. Doctrine Of Judicial Review - It means that the courts have power to examine laws and executive acts and test their conformity with the constitution and struck them down if they are found to be inconsistent with it. Article 13(2) provides that the state shall not make any law which takes away or abridge the fundamental rights and any law made in contravention of this provision shall to that extent of inconsistency is void.


16. Adult Suffrage - Under Article 326 every men and woman above 18 years of age (As it has been reduced from 21 years to 18 years vide 61st Amendment Act, 1988), has been given right to vote in Elections for Parliament, State Assembly.


17. Single Citizenship - According to Federal principle the Constitution of U.S.A. provides for dual Citizenship i.e. Citizenship of U.S.A. and Citizen of the State. Though the Indian Constitution has adopted the federal principles but Indian Constitution has provided for single citizenship i.e. Citizenship of India.


*இந்திய அரசியலமைப்பின் முக்கிய அம்சங்கள்*


இந்திய அரசியலமைப்பு உலகின் மிகப்பெரிய மற்றும் மிகவும் விரிவான அரசியலமைப்பு ஆகும். இது முதலில் 395 கட்டுரைகளை 22 பகுதிகளாகவும் 8 அட்டவணைகளாகவும் பிரித்தது. இந்திய அரசியலமைப்பை உருவாக்கியவர்கள் உலகின் பல்வேறு நாடுகளில் தற்போதுள்ள அனைத்து அரசியலமைப்புகளின் நல்ல விதிகளையும் இணைக்க முயன்றனர். இந்திய அரசியலமைப்பு பிரிட்டிஷ் அரசியலமைப்பிலிருந்து நாடாளுமன்ற அரசாங்க முறையை கடன் வாங்கியுள்ளது. இந்திய அரசியலமைப்பின் வடிவமைப்பாளர்கள் அமெரிக்காவின் அரசியலமைப்பிலிருந்து 'அடிப்படை உரிமைகள்', அயர்லாந்திலிருந்து 'மாநிலக் கொள்கையின் வழிநடத்தும் கோட்பாடுகள்', உச்ச நீதிமன்றத்திற்கு நீதித்துறை மறுஆய்வு செய்யும் அதிகாரம் ஆகியவை அமெரிக்காவின் அரசியலமைப்பிலிருந்து எடுக்கப்பட்டுள்ளன. இதேபோல், இந்தப் பகுதியில் அமெரிக்க விதிகளின் மூலம் இந்தியாவின் கூட்டாட்சிவாதம் பயனடைந்துள்ளது. கனடா மற்றும் ஆஸ்திரேலியாவின் அரசியலமைப்பும் இந்திய அரசியலமைப்பின் சில விதிகளை வகுக்க ஓரளவுக்கு பயன்படுத்தப்பட்டுள்ளன. இந்திய அரசியலமைப்பு உலகின் கூட்டாட்சி அரசியலமைப்புகளில் ஒரு தனித்துவமான இடத்தை வகிக்கிறது. இதற்கு அதன் தனித்துவமான அம்சங்கள் காரணமாகும். இந்திய அரசியலமைப்புச் சட்டத்தின் முக்கிய அம்சங்கள் பின்வருமாறுஃ -


1. உலகின் மிக நீளமான அரசியலமைப்பு-இந்திய அரசியலமைப்பு உலகின் அனைத்து எழுதப்பட்ட அரசியலமைப்புகளையும் விட நீளமானது மற்றும் மிகவும் விரிவானது. அமெரிக்க அரசியலமைப்பு முதலில் 7 பிரிவுகளையும், ஆஸ்திரேலிய அரசியலமைப்பு 128 மற்றும் கனேடிய அரசியலமைப்பு 147 மற்றும் இந்திய அரசியலமைப்பு 395 பிரிவுகளையும் கொண்டிருந்தது. ஆனால் 1995 ஆம் ஆண்டு திருத்தச் சட்டம் 78 வரை இது 443 பிரிவுகளைக் கொண்டுள்ளது.


இந்திய அரசியலமைப்பு மத்திய அரசின் கட்டமைப்பை மட்டுமல்ல, மாநிலங்களின் கட்டமைப்பையும் வகுக்கிறது. மறுபுறம் அமெரிக்க அரசியலமைப்பு மாநிலங்கள் தங்கள் சொந்த அரசியலமைப்பை உருவாக்க அனுமதிக்கிறது. மக்கள் தொகை, சிறுபான்மையினர், அட்டவணை வர்க்கம், அட்டவணை பழங்குடி சமூக மக்கள் போன்ற இந்தியாவின் விசித்திரமான பிரச்சினைகளின் காரணமாக அது பல விதிகளை இணைக்க வேண்டியிருந்தது.


2. அரசாங்கத்தின் ஜனநாயக வடிவம். இந்திய அரசியலமைப்பு இந்தியாவை ஒரு இறையாண்மை கொண்ட ஜனநாயக குடியரசாக உருவாக்குகிறது. இதனால் நாட்டில் ஒரு ஜனநாயக வடிவிலான அரசாங்கத்தை நிறுவ இது வழிவகை செய்கிறது. ஜனநாயகத்தின் இன்றியமையாத பண்புகளான நீதி, சுதந்திரம், சமத்துவம் மற்றும் சகோதரத்துவம் ஆகியவை அரசியலமைப்பின் நோக்கங்களாக முன்னுரையில் அறிவிக்கப்பட்டுள்ளன. ஒரு ஜனநாயகத்தில் அரசாங்கம் அதன் அனைத்து அதிகாரங்களையும் மக்களின் விருப்பத்திலிருந்து பெறுகிறது. நமது ஆட்சியாளர்கள் மக்களால் தேர்ந்தெடுக்கப்பட்ட பிரதிநிதிகள் மற்றும் மக்களுக்கு பொறுப்பானவர்கள். ஒரு இறையாண்மை அரசாங்கம் என்பது எந்தவொரு வெளி அதிகாரத்தையும் சார்ந்து இல்லாத ஒரு அரசாங்கமாகும். இந்தியா ஒரு சுதந்திரமான மற்றும் சுதந்திரமான நாடு, அதன் சொந்த விருப்பப்படி வெளிப்புற மற்றும் உள் கொள்கைகளை தீர்மானிக்க சுதந்திரம் உள்ளது.


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3. மக்களின் இறையாண்மை. இந்திய மக்கள் தங்கள் இறையாண்மை உரிமைகளைப் பயன்படுத்தி இந்த அரசியலமைப்பை ஏற்றுக்கொண்டு தங்களுக்குக் கொடுத்துள்ளனர் என்று அரசியலமைப்பின் முகவுரை அறிவிக்கிறது. "இந்திய மக்களாகிய நாம் நாட்டின் மக்கள் மீது இறையாண்மையை ஒப்படைப்பது சுதந்திரப் போராட்டத்தின் உச்சக்கட்டத்தைக் குறிக்கிறது மற்றும் எதிர்கால அரசியலமைப்பு முன்னேற்றத்தின் மூலக்கல்லாக அமைகிறது.


4. நாடாளுமன்ற வடிவ அரசு. இந்திய அரசியலமைப்பு அமெரிக்காவில் உள்ள அரசாங்கத்தின் ஜனாதிபதி வடிவத்திலிருந்து வேறுபட்ட வகையில் மையத்திலும் மாநிலங்களிலும் இந்திய அரசாங்கத்தின் நாடாளுமன்ற வடிவத்தை நிறுவுகிறது. நாடாளுமன்ற அரசு முறையின் முக்கிய அம்சங்கள் பின்வருமாறுஃ- (அ) மாநில தலைவர் i.e. குடியரசுத் தலைவர் பெயரளவிலான மற்றும் அரசியலமைப்பு ரீதியான தலைவர், ஆனால் உண்மையான நிர்வாக அதிகாரம் பிரதமர் தலைமை வகிக்கும் அமைச்சரவையிடம் உள்ளது.


(ஆ) அமைச்சரவை கூட்டாக மக்களவைக்கு பொறுப்பாகும்.


(இ) அமைச்சரவையின் உறுப்பினர்கள் மக்களால் நேரடியாக தேர்ந்தெடுக்கப்பட்ட சட்டமன்றங்களின் தேர்ந்தெடுக்கப்பட்ட உறுப்பினர்கள் ஆவர். மறுபுறம், அரசாங்கத்தின் ஜனாதிபதி வடிவத்தில் மாநிலத்தின் தலைவர் i.e. குடியரசுத் தலைவர் மக்களால் நேரடியாக தேர்ந்தெடுக்கப்பட்ட உண்மையான நிர்வாகி மற்றும் மக்களுக்கு பொறுப்பானவர்.


5. அடிப்படை உரிமைகள். இந்திய அரசியலமைப்புச் சட்டத்தில் குடிமக்களின் அடிப்படை உரிமைகளின் நீண்ட பட்டியல் உள்ளது. தனிநபரின் ஆளுமையின் வளர்ச்சிக்கு இந்த உரிமைகள் அவசியம். பொது நலனுக்காக அவ்வாறு செய்ய வேண்டிய அவசியம் இல்லாவிட்டால், சட்டமன்றமும் நிர்வாகமும் இந்த உரிமைகளை பறிக்க முடியாது. இருப்பினும், இந்த உரிமைகள் முழுமையான உரிமைகள் அல்ல. அவை தடைசெய்யப்பட்ட உரிமைகள் மற்றும் பொது நலனுக்காக தேவைப்படும்போது கட்டுப்படுத்தப்படலாம், சுருக்கப்படலாம் மற்றும் பறிக்கப்படலாம்.


6. மாநிலக் கொள்கையின் வழிகாட்டும் கோட்பாடுகள். அரசியலமைப்பின் பகுதி IV இல் உள்ள மாநிலக் கொள்கையின் வழிகாட்டும் கோட்பாடுகள் நாட்டின் நிர்வாகத்தில் மாநிலத்தால் பின்பற்றப்பட வேண்டிய குறிக்கோள்களையும் குறிக்கோள்களையும் அமைக்கின்றன. அவை நீதிமன்றங்களில் நியாயமானவை அல்ல என்றாலும், அவை நாட்டின் நிர்வாகத்தில் மிகவும் முக்கியமானவை மற்றும் அடிப்படையானவை. அவர்களை எந்த அரசும் புறக்கணிக்க முடியாது. இவர்களுக்குப் பின்னால் ஓர் அரசியல் குற்றச்சாட்டு உள்ளது. அவற்றை அமல்படுத்துவதற்கு மத்திய மற்றும் மாநில அரசுகள் தேர்தல் நேரத்தில் வாக்காளர்களுக்கு பதிலளிக்க வேண்டியவை. அரசியலமைப்பில் உள்ள பல்வேறு வழிகாட்டும் கொள்கைகளை செயல்படுத்துவதன் மூலம் மட்டுமே நலன்புரி அரசு என்ற கருத்தை அடைய முடியும்.


7. நெகிழ்வுத்தன்மையுடன் விறைப்புத்தன்மையின் கலவை. - என்றார். ஒரு கடினமான அரசியலமைப்பு என்பது அதன் விதிகளை திருத்துவதற்கு ஒரு சிறப்பு நடைமுறை தேவைப்படுகிறது, அதே நேரத்தில் ஒரு நெகிழ்வான அரசியலமைப்பில் அரசியலமைப்பின் விதிகளை ஒரு சாதாரண சட்டமன்ற செயல்முறை மூலம் திருத்தலாம். எழுதப்பட்ட அரசியலமைப்பு பொதுவாக கடுமையானது என்று கூறப்படுகிறது. இந்திய அரசியலமைப்பு எழுதப்பட்டிருந்தாலும் போதுமான நெகிழ்வானது. அரசியலமைப்பின் ஒரு சில விதிகள் மட்டுமே சிறப்பு நடைமுறை i.e மூலம் திருத்த முடியும். மாநில சட்டமன்றத்தின் பாதியின் ஒப்புதல் தேவைப்படும் அரசியலமைப்பின் பெரும்பான்மையான விதிகளை நாடாளுமன்றம் சாதாரண சட்டமன்ற செயல்முறை மூலம் திருத்தலாம்.


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8. அடிப்படைக் கடமைகள். 1976 ஆம் ஆண்டு 42 வது திருத்தச் சட்டத்தின் மூலம் ஸ்வரன் சிங் குழுவின் (தலைவர், அரசியலமைப்பு திருத்தத்திற்கான காங்கிரஸ் குழு) பரிந்துரையின்படி. 


10 அடிப்படை கடமைகள் இந்திய அரசியலமைப்பின் பகுதி IV A (பிரிவு 51-A) இல் சேர்க்கப்பட்டுள்ளன. அனைத்து அடிப்படை கடமைகளையும் கடைப்பிடிப்பது இந்தியாவின் ஒவ்வொரு குடிமகனின் கடமையாக இருக்கும்.


9. சட்டமியற்றும் அதிகாரங்களை விநியோகிப்பது. - என்றார்.


இந்திய அரசியலமைப்பு ஏழாவது அட்டவணையின் கீழ் மூன்று பட்டியல்களைக் கொண்டுள்ளதுஃ


(i) ஒன்றியப் பட்டியல்-[சரத்து 246 (1) மற்றும் Sch. VII]-இந்த பட்டியலில் 97 பாடங்கள் உள்ளன. இவற்றில் ஏதேனும் ஒன்று தொடர்பாக சட்டங்களை இயற்றுவதற்கு நாடாளுமன்றத்திற்கு பிரத்யேக அதிகாரம் உள்ளது.


(ii) மாநிலப் பட்டியல்-[பிரிவு 246 (3) மற்றும் SCH. VII] - இந்த பட்டியலில் 66 பாடங்கள் உள்ளன. எந்தவொரு மாநிலத்தின் சட்டமன்றத்திற்கும் இந்த பாடங்களில் ஏதேனும் ஒன்றைப் பற்றி சட்டங்களை உருவாக்க பிரத்யேக அதிகாரம் உள்ளது.


(iii) ஒருங்கிணைந்த பட்டியல்-[சரத்து 246 (2) மற்றும் Sch. VII] இந்த பட்டியலில் 47 பாடங்கள் உள்ளன. எந்தவொரு மாநிலத்தின் நாடாளுமன்றம் மற்றும் சட்டமன்றம் ஆகிய இரண்டிற்கும் இந்த பாடங்களில் ஏதேனும் ஒன்றைப் பற்றி சட்டங்களை இயற்றும் அதிகாரம் உள்ளது.


எஞ்சிய அதிகாரங்கள்-இந்திய அரசியலமைப்பின் 248 வது பிரிவின் கீழ், எஞ்சிய அதிகாரங்கள் மத்திய அரசிடம் உள்ளன.

விதிவிலக்குகள். மாநிலப் பட்டியலில் குறிப்பிடப்பட்டுள்ள ஒரு விஷயத்தில் இந்த கலைகளில் குறிப்பிடப்பட்டுள்ள சூழ்நிலைகளில் நாடாளுமன்றம் சட்டங்களை உருவாக்க முடியும் என்று 249,250,252 மற்றும் 253 வது பிரிவுகள் வழங்குகின்றன.


10. ஒன்றியத்திற்கும் மாநிலங்களுக்கும் இடையிலான நிர்வாக உறவுகள். 256 முதல் 263 வரையிலான பிரிவுகள் பின்வரும் வழிகளில் சாதாரண காலங்களில் கூட மாநிலங்கள் மீதான யூனியன் கட்டுப்பாட்டைக் கையாள்கின்றனஃ


(i) மாநில அரசுகளுக்கு மத்திய அரசின் உத்தரவு-சரத்து 256,257 மற்றும் 356.


(ii) மாநிலங்களுக்கு ஒன்றியத்தின் செயல்பாட்டை பிரதிநிதித்துவப்படுத்துதல்-பிரிவு 258.


(iii) அகில இந்திய சேவைகள்-பிரிவு 312.


(iv) உதவி மானியம்.


(v) நீர் தொடர்பான சர்ச்சைகள்.


(vi) பொதுச் சட்டங்கள், பதிவுகள் மற்றும் நீதித்துறை நடவடிக்கைகள்-பிரிவு 261.


(vii) மாநிலங்களுக்கிடையேயான ஒருங்கிணைப்பு-மாநிலங்களுக்கு இடையேயான கவுன்சிலுக்கான ஏற்பாடு-பிரிவு 263.


11. தனித்துவமான கூட்டமைப்பு. - இந்தியா, ஒரு தனித்துவமான கூட்டமைப்பு. இது போன்ற பல தனித்துவமான அம்சங்களை இது வழங்குகிறதுஃ


i) இரட்டை குடியுரிமை இல்லை-ஒற்றை குடியுரிமை உள்ளது i.e., இந்திய குடிமகன்.


(ii) அவசரகாலத்தின் போது, அது ஒரு ஒற்றையாட்சி தன்மையைப் பெறுகிறது.


12. அனைத்து அடிப்படை விஷயங்களிலும் ஒற்றுமை. இந்திய அரசியலமைப்பு நிர்வாக மற்றும் சட்டமன்ற ஒற்றுமையை பராமரிக்க 3 வழிகளை ஏற்றுக்கொள்கிறது.


(i) ஒரே நீதித்துறை.


(ii) சிவில் மற்றும் குற்றவியல் அடிப்படை சட்டங்களின் சீரான தன்மை, மற்றும்


(iii) பொது அகில இந்திய சேவைகள்.


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13. சுதந்திரமான நீதித்துறை. உச்ச நீதிமன்றம் மற்றும் உயர் நீதிமன்றங்களின் சுதந்திரம் மற்றும் பக்கச்சார்பற்ற தன்மையைப் பாதுகாக்கும் நோக்கில் பின்வரும் விதிகள் உள்ளன


(i) நீதித்துறை அதிகாரிகளுடன் கலந்தாலோசித்த பின்னர் குடியரசுத் தலைவரால் நீதிபதிகளை நியமிப்பது. [பிரிவுகள் 124 (2) 217]


(ii) ஒவ்வொரு நீதிபதிக்கும் பதவிக்காலத்தின் பாதுகாப்பு உத்தரவாதம் அளிக்கப்படுகிறது. [பிரிவுகள் 124,218]


(iii) சம்பளங்கள் நிர்ணயிக்கப்பட்டவை மற்றும் அறிவிக்கப்பட்ட அவசரகால காலத்தைத் தவிர சட்டமன்றத்தால் மாறுபட முடியாது. [கட்டுரை 360]


(iv) நியமிக்கப்பட்டவுடன் அவர்களின் சலுகைகள், உரிமைகள் மற்றும் கொடுப்பனவுகளை அவர்களுக்கு பாதகமாக மாற்ற முடியாது. [பிரிவு 125,221]


(v) உச்ச நீதிமன்றமும் உயர் நீதிமன்றமும் தங்கள் சொந்த ஊழியர்களை நியமித்து, சேவை நிபந்தனைகள் குறித்து விதிகளை வகுக்கின்றன. [கட்டுரைகள் 146,229]


(vi) நீதிபதிகளின் சம்பளம் மற்றும் படிகள் சட்டமன்றத்தின் வாக்கெடுப்புக்கு வைக்கப்படுவதில்லை. [கட்டுரைகள் 146,229]


(vii) அதன் அதிகாரிகளின் சம்பளம், படிகள் மற்றும் ஓய்வூதியங்கள் இந்திய ஒருங்கிணைந்த நிதியில் வசூலிக்கப்படுகின்றன. [கட்டுரைகள் 146,229]


(viii) உச்சநீதிமன்றத்தின் நீதிபதிகள் ஓய்வு பெற்ற பிறகும் இந்தியாவில் உள்ள எந்தவொரு நீதிமன்றத்திலும் அல்லது நீதித்துறை அதிகாரத்தின் முன் வாதிடவோ அல்லது ஆஜராகவோ அரசியலமைப்பு தடைசெய்கிறது. [பிரிவுகள் 124 (7) 220]


(ix) உச்ச நீதிமன்றத்தின் அல்லது உயர் நீதிமன்றங்களின் எந்தவொரு நீதிபதியும் தனது கடமைகளை நிறைவேற்றுவது குறித்து ஒரு மாநிலத்தின் சட்டமன்றத்திலோ அல்லது நாடாளுமன்றத்திலோ எந்த விவாதமும் நடைபெற முடியாது. [கட்டுரைகள் 121,211]


14. சட்டத்தின் ஆட்சி-இந்திய அரசியலமைப்பு நீதித்துறை அமைப்பை நிறுவுவதன் மூலம் சட்டத்தின் ஆட்சி என்ற நவீன கருத்தை உள்ளடக்கியது, இது பாரபட்சமின்றி மற்றும் அனைத்து தாக்கங்களிலிருந்தும் விடுபட்டு செயல்பட முடியும். சட்டத்தின் ஆட்சி என்பது சட்டத்தின் கொள்கைகளின் அடிப்படையில் அரசாங்கம் என்று பொருள்படும். சட்டத்தின் ஆட்சி, நிர்வாகத்தின் முழு துறையிலும் பரவியுள்ளது, மேலும் அரசின் ஒவ்வொரு உறுப்பும் சட்டத்தின் ஆட்சியால் கட்டுப்படுத்தப்படுகிறது. ஜேம்ஸ் 1 இன் ஆட்சியின் தலைமை நீதிபதியாக இருந்த சர் எட்வர்ட் கோக் இந்த கருத்தை உருவாக்கியவர் ஆவார். சட்டத்தின் ஆட்சிக்கு மூன்று அர்த்தங்கள் உள்ளனஃ -


(i) சட்டத்தின் மேலாதிக்கம்


(ii) சட்டத்தின் முன் சமத்துவம்


(iii) சட்ட ஆவியின் மேலாதிக்கம்.


15. நீதித்துறை மறுஆய்வு கோட்பாடு-இதன் பொருள் என்னவென்றால், சட்டங்கள் மற்றும் நிர்வாகச் செயல்களை ஆராய்ந்து, அரசியலமைப்புடன் அவற்றின் இணக்கத்தை சோதிக்கவும், அவற்றுடன் முரண்படுவதாகக் கண்டறியப்பட்டால் அவற்றை ரத்து செய்யவும் நீதிமன்றங்களுக்கு அதிகாரம் உள்ளது. பிரிவு 13 (2) அடிப்படை உரிமைகளை பறிக்கும் அல்லது குறைக்கும் எந்தவொரு சட்டத்தையும் அரசு உருவாக்காது என்றும், இந்த விதியை மீறி உருவாக்கப்பட்ட எந்தவொரு சட்டமும் அந்த அளவிற்கு முரண்பாடு இல்லாதது என்றும் கூறுகிறது.


16. வயது வந்தோருக்கான வாக்குரிமை-பிரிவு 326 இன் கீழ் 18 வயதுக்கு மேற்பட்ட ஒவ்வொரு ஆணும் பெண்ணும் (இது 61 வது திருத்தச் சட்டம், 1988 இன் படி 21 வயதிலிருந்து 18 வயதாக குறைக்கப்பட்டுள்ளதால்) நாடாளுமன்றம், மாநில சட்டமன்ற தேர்தல்களில் வாக்களிக்கும் உரிமை வழங்கப்பட்டுள்ளது.


17. ஒற்றை குடியுரிமை-கூட்டாட்சி கொள்கையின்படி U.S.A இன் அரசியலமைப்பு இரட்டை குடியுரிமையை வழங்குகிறது i.e. குடியுரிமை U.S.A மற்றும் மாநில குடிமகன். இந்திய அரசியலமைப்பு கூட்டாட்சி கொள்கைகளை ஏற்றுக்கொண்டாலும், இந்திய அரசியலமைப்பு ஒற்றை குடியுரிமையை வழங்கியுள்ளது, அதாவது i.e. இந்திய குடியுரிமை.



பெயில் எப்படி பெறுவது ? | #Bailable_Offence | #Non_bailable-offence


பெயில் என்றால் என்ன? பெயில் எப்படி பெறுவது


பெயில் என்றால் என்ன ஒரு சிறிய விளக்கம்

ஒரு குற்றம் சுமத்தப்பட்ட குற்றவாளி  மீது வழக்குத் தொடுத்து காவல்துறையினர்  அவர்களை நீதிமன்றத்தில் ஆஜர்படுத்தி சாட்சியங்கள் மற்றும் ஆதாரங்களை சமர்ப்பித்து அவர்களால்தான் அந்தக் குற்றம் செய்யப்பட்டது என்பதை நிரூபித்து குற்றவாளிகளுக்குத் தண்டணை பெற்றுத் தருகிறார்கள். 

இது போன்ற வழக்குகளில் குற்றவாளிகள் செய்த குற்றங்களை பொறுத்து பெயிலில் விடக்கூடிய (Bailable-ஜாமீனில் வெளிவரக்கூடிய குற்றம்) வழக்கு மற்றும் பெயிலில் (Non_Bailable-ஜாமீனில் வெளிவர முடியாத குற்றம்) விட முடியாத வழக்கு என்று இரண்டு வகையாக பிரிக்கப்பட்டுள்ளது.

* ஜாமீனில்* வெளிவரக்கூடிய
 குற்றம் என்றால் என்ன
Bailable Offence

பெயிலில் விடக்கூடிய வழக்குகள் (Bailable Offence) இவை பெரும்பாலும் சிறு சிறு குற்றங்களாகும்.

 இது போன்ற குற்றங்களில் காவல்துறை அதிகாரியே கைது செய்யப்பட்டவரை பெயிலில் விடுவிக்கலாம். (சில குற்றங்களில் மட்டும்) ஜாமீன் தருவோர்கூட தேவையில்லை. 

கைது செய்யப்பட்டவரிடமே ஜாமீன் பெற்று கொண்டு அவரை காவல்துறை அதிகாரி பெயிலில் விடலாம். 

ஜாமீனில் வெளிவர முடியாத குற்றம் என்றால் என்ன? 
Non Bailable Offence.
 
பெயிலில் விட முடியாத வழக்குகள் (Non Bailable Offence-ஜாமீனில் வெளிவர முடியாத குற்றம்) இவை இரண்டு வருடங்களுக்கு மேற்பட்ட சிறைத் தண்டணை விதிக்கும் அளவிற்கு உள்ள பெரிய குற்றங்களாகும். 

இதுபோன்ற குற்றங்களில் குற்றம்  செய்தவர்களை காவல்துறை அதிகாரியால் கைது செய்யத்தான்   முடியும் ஆனால் பெயிலில் விட முடியாது.

எனவே இது போன்ற வழக்குகளில் சம்பந்தப்பட்ட குற்றவாளிகள் உரிய நீதிமன்றத்தில்தான் பெயில் பெற வேண்டும். 

 அவ்வாறு பெயிலில் விட முடியாத வழக்கு ஒன்றில் காவல்துறையினரால் குற்றஞ்சாட்டப்பட்டவர் ஒருவர் நீதிமன்றத்தில் பெயில் கேட்டால் அவருக்கு எதிராக வாதாடக்கூடிய அரசு தரப்பு வழக்கறிஞர் அவரினால் அந்த வழக்கில் என்னென்ன பிரச்சினை வரும் என்பதை குறிப்பிட்டு ஒவ்வெரு காரணத்தையும் எடுத்துரைத்து நீதிமன்றத்தின் முன்பாக வாதிடுவார்.  

அந்த குற்றவாளிக்கு பெயில் கொடுக்கக் கூடாது என்று ஆட்சேபணை செய்வார் கடுமையான வாதங்களை முன் வைப்பார்.

அந்த காரணங்கள் சரியாக இருக்கும் பட்சத்தில் அந்த குற்றவாளியினால் பாதிப்புகள் ஏற்படும் வழக்கு திசை திருப்பபடும் என்று நீதிமன்றம் கருதினால் அந்த குற்றம்சாட்டபபட்ட நபரின் பெயில் மறுக்கப்படும்.

பெயில் மறுக்கபடுவதற்கான காரணங்கள் அவற்றில் சில

*குற்றவாளிக்கு பெயில் கிடைத்தால் புகார்தாரருக்கு ஆபத்து.

*மேலும் சாட்சியங்கள் அழிக்கபடும்.

* குற்றவாளி விசாரணையின் போது முறையாக ஆஜராக மாட்டார்.

*சாட்சிகளை கலைத்துவிடுவார். 

*பெயிலில் வந்த பிறகு அவர் மேலும் வேறு குற்றங்களைப் புரிவார்.

*காவல்துறையின் விசாரணை இன்னும் முடியவில்லை.

*திருட்டுபோன பொருட்கள் இன்னும் கைப்பற்றப்படவில்லை.

*குற்றம் புரிய பயன்படுத்திய ஆவணங்கள் இன்னும் கைப்பற்றப்படவில்லை. 

*சக குற்றவாளிகள் இன்னும் தலைமறைவாக உள்ளனர்.

*சாட்சிகளின் உயிருக்கு ஆபத்து. 

இப்படி பல கடுமையான காரசாரமான வாதம் ஏற்படும் நீதிமன்றத்தில் இது போன்ற அடுக்கடுக்கான வாதத்தை அரசுதரப்பு வழக்கறிஞர் வைக்கும் போது  குற்றவாளியின் வழக்கறிஞர் அந்த குற்றச்சாட்டுகளை மறுத்து பதிலளிக்க வேண்டும்.

 நீதிமன்றத்தில் பெயில் or ஜாமீன் மனு தாக்கல் செய்யும் போது வழக்கறிஞரிடையே இப்படியெல்லாம் வாதம் நடைபெறும் பெயில் கொடுக்க கூடாது என்பதற்காக ஆனால் மேற்கண்ட குற்றங்களை மனுதாரர் ஒருபோதும் செய்யமாட்டார் என்பதை உறுதியளித்து நீதிமன்றம் ஏற்றுக் கொண்டால் குற்றம் சுமத்தப்பட்ட நபருக்கு பெயில் கிடைக்கும்.

பெயில் கிடைக்க வேண்டும் என்பதற்காக கீழ்க்கண்ட காரணங்களை குற்றஞ்சாட்டப்பட்டவர் சார்பாக வழக்கறிஞர் கூறி வாதிடுவார்

*பெயிலில் செல்லாவிட்டால் தனது வேலையை இழக்க நேரிடும்.

*குடும்பத்தில் தான் மட்டுமே சம்பாதிக்கும் நபர் என்பதால், தனது குடும்பம் வருமானம் இன்றி பாதிக்கப்படுகிறது 

*தனக்கு உடல் நலமில்லை, வெளியில் உள்ள தனியார் மருத்துவமனையில் சிகிச்சை எடுத்தால்தான் குணமாக முடியும்.

*மேல்முறையீடு செய்யப்பட்டுள்ளது. மேல் முறையீட்டு மனு நிலுவையில் இருக்கும்போது தண்டனை கைதியை தொடர்ந்து சிறையில் வைப்பது என்பது நீதிக்கு எதிரானது.  

ஜாமீன் எப்படி கொடுக்க வேண்டும் என்று தெரிந்து கொள்ளுங்கள்

குற்றஞ்சாட்டப்பட்டவரை பெயிலில் எடுப்பதற்கு அது சிறிய குற்றம் என்றால், ரூ.50,000/- மதிப்புள்ள அசையா சொத்து வைத்திருக்கும் இரண்டு நபர்கள் ஜாமீன் கொடுக்க வேண்டும். 

குறிப்பிடும் நாளில் ஜாமீன்தாரர்கள். நீதிமன்றத்திற்கு அசல் குடும்ப அட்டையுடன் செல்ல வேண்டும்.

நீதிபதி அவர்களிடம், குற்றம் சாட்டப்பட்டவரை உங்களுக்கு எப்படித் தெரியும்? அவர் பெயர் என்ன? அவரது தந்தையின் பெயர் என்ன? அவர் எந்த ஊரில் வசித்து வருகிறார்? அவரது மனைவி பெயர் என்ன? என்ன குற்றம் செய்துள்ளார்? உங்கள் பெயர் என்ன? உங்கள் தந்தையின் பெயர் என்ன? உங்கள் சொத்து எந்த ஊரில் உள்ளது? அதன் மதிப்பு என்ன? என்ற கேள்விகளை கேட்பார். 

அவற்றிற்கு தகுந்த பதில்களை ஜாமீன் அளிப்பவர் சொல்ல வேண்டும். குறிப்பிடும் நிபந்தனைகளின்படி குற்றஞ்சாட்டப்பட்டவர் நீதிமன்றத்தில் அல்லது காவல் நிலையத்தில் ஆஜராகாவிட்டால் உங்களை கைது செய்ய நேரிடும்! என்பதையும் நீதிபதி ஜாமீன்தாரர்களிடம் தெரிவிப்பார்.

பின்பு ஜாமீந்தாரர்களின் குடும்ப அட்டையில் நீதிமன்ற முத்திரை வைத்து பெயில் வழங்கப்படும்.

பெயில் மறுப்பு மற்றும் மேல் முறையீடு குற்றஞ்சாட்டப்பட்ட ஒருவரை பெயிலில்விட நீதிபதி மறுத்தால் அதற்கான காரணங்களை அவர் தனது தீர்ப்பில் கூறவேண்டும்.

அதனை வைத்துதான் குற்றம் சாட்டப்பட்டவர் உயர்நீதிமன்றத்தில் மேல்முறையீடு செய்ய முடியும். 

ஒருவரது பெயில்மனு தள்ளுபடி ஆனால் அதே நீதிமன்றத்தில் சில காலம் கழித்து மீண்டும் மனு போடலாம் அல்லது உயர்நீதி மன்றத்தில் அப்பீல்செய்யலாம்

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தேசிய சட்ட சேவைகள் ஆணையம் (NALSA) படி, கீழ் கண்டவர்கள் இலவச சட்ட உதவியை ...


இலவச சட்ட உதவி கட்டமைப்பு


சமூகத்தில் பாதிக்கப்படக்கூடிய பிரிவினருக்கு இலவச சட்ட சேவைகளை வழங்குவதற்காக, 1987 சட்ட சேவைகள் அதிகாரசபை சட்டம் கீழ்  தேசிய சட்ட சேவைகள் ஆணையம் (NALSA)  அமைக்கப்பட்டது. பத்து வருடங்கள் பின், தமிழ்நாடு மாநில சட்டப் சேவைகள் ஆணைய விதிகள், 1997-ம் ஆண்டு இயற்றப்பட்டது, இதில் தமிழ்நாடு மாநில சட்டப் சேவைகள் ஆணையம் (TNSLA) மற்றும் மாவட்ட சட்டப் சேவைகள் ஆணையம் (DLSA) ஆகியவை தாலுகா சட்டப் சேவைகள் குழுவுடன் நிறுவப்பட்டன. உயர் நீதிமன்ற சட்டப் சேவைகள் குழுவையும், மாநில ஆணையம் அமைத்தது. 

தேசிய சட்ட சேவைகள் ஆணையம் (NALSA) படி, நீதி மன்ற கட்டணம், சட்ட சிக்கல்களுக்கான இலவசப் பிரதிநிதித்துவம், கட்டணமின்றி சட்ட நடவடிக்கைகள் தொடர்பான உத்தவரவுகள் மற்றும் ஆவண நகல்களைப் பெறுதல், உயர் நீதிமன்றங்களில் மேல்முறையீடு செய்ய விருப்பம் தெரிவித்தல், அச்சிடுதல் மற்றும் மொழிபெயர்த்தல் ஆகியவை ஒவ்வொரு மட்டத்திலும் பல்வேறு அமைப்புகளால் வழங்கப்படும் சட்ட சேவைகள் ஆகும். இது தவிர, முகாம்கள் மூலம் சட்ட விழிப்புணர்வு ஏற்படுத்துதல், ஆலோசனைகள் வழங்குதல், தனி நபர்களுக்கு சட்ட உரிமைகளை கற்பிப்பதன் மூலம் அவர்களை மேம்படுத்துதல் ஆகியவற்றையும் மாநில மற்றும் மாவட்ட அமைப்புகள் மேற்கொள்ளவேண்டும். 

தேசிய சட்ட சேவைகள் ஆணையம் (NALSA) படி, கீழ் கண்டவர்கள் இலவச சட்ட உதவியை பெறலாம்

*பெண்கள்
*மூன்றாம் பாலினர்
*குழந்தைகள்
*மூத்த குடிமக்கள்
*பட்டியல் இனத்தவர் மற்றும் *பழங்குடியினர்
*தொழிலளர்கள்
*பேரழிவுகளால் பாதிக்கப்பட்டவர்கள் *(தொழில்முறை பாதிப்புகள் உட்பட)
*ஊனமுற்றவர்கள்
*கடத்தப்பட்டவர்கள்
*ஆண்டு வருமானம் குறைவாக *உள்ளவர்கள் – இது மாநிலத்திற்கு *மாநிலம் வேறுபடும். 

மேலே குறிப்பிட்டவர்களோடு கூடுதலாக, ஆண்டு வருமானம் ₹3 லட்சத்திற்கு குறைவாக உள்ளவர்களுக்கு, இலவச சட்ட ஆலோசனை தமிழகத்தில் வழங்கப்படுகிறது. வருமான அடிப்படையின்றி, தாழ்த்தப்பட்ட சமூகத்தை சேர்ந்தவர்களும், பெண்களும், NALSA மூலம் இலவச சட்ட ஆலோசனை பெறலாம்” என கூறுகிறார் TNSLSA-ன் துணை செயலாளர். 

ஆர்வமுள்ள வழக்கறிஞர்கள் சட்ட உதவி ஆணையத்தில எவ்வாறு இணையலாம்?

சட்ட உதவி அமைப்பில் சேர ஆர்வமுள்ள வழக்கறிஞர்கள் விண்ணப்பங்களை அனுப்பிய பின் நேர்காணல் போன்ற பல கட்ட தேர்வு முறையை எதிர்கொள்ள வேண்டும். TNSLSA வின் ஒப்புதலுக்கு பின், மாவட்ட அல்லது தாலுகா சட்ட உதவி சேவைகளின் கீழ் வழக்கறிஞர்கள் இணைக்கப்படுவார்கள், எனDLSA-ன் சென்னை செயலாளர் கூறினார். இவர்கள் அளிக்கும் சேவைக்காக கௌரவ கட்டணம் வழங்கப்படுகிறது.

சட்ட உதவியில் பணியாற்றும் வழக்கறிஞர்கள் ‘ஏ’ மற்றும் ‘பி’ குழு என வகைப்படுத்தப்பட்டுள்ளனர். பத்து ஆண்டுகளுக்கு மேல் அனுபவம் உள்ள வழக்கறிஞர்கள் ‘ஏ’ குழுவில் இருப்பர். பத்து ஆண்டுகளுக்கு கீழ் அனுபவம் உள்ள வழக்கறிஞர்கள் ‘பி’ குழுவில் இருப்பர்” என பகிர்ந்தார் ஜோதிலட்சுமி.

அவர்களின் அனுபவத்திற்கு ஏற்ப, சட்ட உதவி வழக்குகள் அவர்களுக்கு வழங்கப்படும். குழுவில் உள்ள உறுப்பினர்கள், தங்கள் புதுப்பிப்புகளைப் பகிர்ந்து கொள்ளவும், சந்தேகங்கங்களை தீர்த்துக் கொள்ளவும், கண்காணிப்பு மற்றும் வழிகாட்டுதல் குழு சந்திப்பு நடைபெற்று வருவதாக DLSA செயலாளர் தெரிவித்தார். 

“ஒரு ஆண்டு பதவிக்காலத்தில் சுமார் 5-6 வழக்குகள்” தனக்கு கிடைத்ததாக ஜோதி லக்ஷ்மி தெரிவித்தார்.

வழக்கறிஞர்களின் பதவிக்காலம் தற்போது 3 ஆண்டுகள் என  TNSLSA மற்றும்  DLSA உறுதி செய்தன.

பொது மக்கள் சட்ட உதவி பெறுவது எப்படி?

இலவச சட்ட உதவி பெற விரும்புவோர் சென்னையில் உள்ள TNSLSA அல்லது DLSA அலுவலகத்தை அணுகலாம். “எங்களை தொலைபேசி அல்லது தபால் மூலமோ அணுகலாம். எந்த மாவட்டத்திலிருந்து உதவி கோரப்பட்டுள்ளது என்பதை பரீசிலித்து அந்த சட்ட உதவி மையத்திற்கு அனுப்பி வைப்போம்” என TNSLSA-ன் இணை செயலாளர் தெரிவித்தார்.

“எழுத படிக்கத் தெரியாதவர்களுக்கு படிவம் மற்றும் பிற வேலைகளில் தன்னார்வலர்கள் உதவி புரிவர்,” என்றார் ஜோதிலக்ஷ்மி.

சென்னை உயர் நீதி மன்றத்தில் TNSLSA-ன் தலைமையகம் அமைந்துள்ளது. அதே வளாகத்தில், சென்னை மாவட்ட DLSA உள்ளது. 

வழக்கு எந்த கட்டத்தில் இருந்தாலும், இலவச சட்ட உதவி பெறலாம், என ஜோதிலக்ஷ்மி உறுதிபடுத்தினார். 

“நீதிமன்றம் செல்லாமல் ஆலோசனை மற்றும் மத்தியஸ்தம் மூலம் தகராறுகளை தீர்க்க முனைவோம்,” என DLSA செயலாளர் குறிப்பிட்டார். மாவட்ட மற்றும் மாநில சட்ட சேவையான லோக் அதாலத் பணியை இங்கு குறிப்பிட்டார். 

சென்னையில் சுமார் 20 இலவச சட்ட உதவி மையத்தை TNSLSA மற்றும் DLSA நிறுவி உள்ளது. பாதிக்கப்பட்ட மக்கள் உதவி பெறும் வகையில் துணை சிறைகளும் இதில் அடங்கும். ஆதரவற்றோர் இல்லங்கள், முதியோர் இல்லங்கள், மாற்று திறனாளி பராமரிப்பு மையங்கள் மற்றும் மருத்துவமனைகளில் இந்த உதவி மையங்கள் உள்ளன. குறைகளை தீர்க்கவும், ஆலோசனை வழங்கவும், வாரம் இரண்டு முறை, மைய வழக்கறிஞர்கள் இங்கு மக்களை பார்க்க வருவதாக சென்னை DLSA செயலாளர் தெரிவித்தார். 

NALSA வலைதளம் மூலமாகவும் சட்ட உதவிக்கு மக்கள் விண்ணப்பிக்கலாம். 

சென்னை மையம்
2021-22 NALSA அறிக்கை படி, தமிழக உயர் நீதி மற்றும் மாவட்ட சட்ட சேவை கீழ் 4196 வழக்கறிஞர்கள் உள்ளனர். 

பெரும்பாலும் சிவில் வழக்குகளுக்காகவே மக்கள் தங்களை அணுகுவதாக நம்மிடம் பேசிய வழக்கறிஞர்கள் கூறினர். “சொத்து தகராறு, குடும்ப மற்றும் திருமண சர்ச்சைகள் குறித்து சட்ட உதவி கோரி வருகின்றனர். மகிழ்ச்சியற்ற திருமண பந்தத்திலிருந்து விடுவித்துக் கொள்ள விவாகரத்து கோரியும் பெண்கள் வருகிறார்கள்.” என மூத்த வழக்கறிஞர் தீனதயாளன் கூறினார். 

பிப்ரவரி 2022-ன் TNSLSA அறிக்கை படி, மாநிலத்தில் 21,678 வழக்குகள் சட்ட உதவி மையங்களில் நிலுவையில் உள்ளன. 

பலாத்காரத்தால் பாதிக்கப்பட்டவருக்கு ₹6 லட்சம் இழப்பீடு பெற்று கொடுத்தது உள்பட பல வழக்குகளில் தீர்வு கண்டுள்ளதை சென்னை DLSA நம்மிடம் பகிர்ந்தனர். சமீபத்தில், தன் குடும்பத்தால் கைவிடப்பட்ட முதியவருக்கு உதவி செய்து மீண்டும் அவர் குடும்பத்துடன் இணைய உதவி புரிந்துள்ளனர் சட்ட உதவி மைய அதிகாரிகள். 

தன் குழந்தையை கொலை செய்ததாக குற்றம் சாட்டப்பட்ட பெண் சட்ட உதவி மையத்தை நாடினார். சட்ட உதவி வழக்கறிஞர் இவரின் வழக்கை எடுத்து குற்றவாளி அல்ல எனவும் தீர்ப்பு பெற்றுக் கொடுத்துள்ளது இந்த மையத்தின் சேவையை பறைசாற்றுவதாக உள்ளது.

சட்ட உதவியை அணுகவதில் உள்ள சவால்கள்
“சட்ட உதவி சேவை முழு வீச்சுடன் செயல்படாததற்கு பல காரணங்கள் உள்ளது. மக்களிடையே இது குறித்து போதிய விழிப்புணர்வு இல்லாதது இதில் முக்கியமானது,” என்கிறார் தமிழ்நாடு Dr.அம்பேத்கர் சட்ட பல்கலைகழகத்திலிருந்து சமீபத்தில் பட்டம் பெற்ற அபர்னா ராஜு. 

மாவட்ட மற்றும் மாநில சட்ட சேவை அதிகார வரம்பில் உள்ள பல சட்ட உதவி மையங்கள் பல்வேறு காரணங்களால் தற்போது செயலற்று உள்ளன. 

பாலவாக்கத்தில் உள்ள விஷ்ராந்தி இல்லத்தில் அமைக்கப்பட்ட ஒரு சட்ட உதவி மைய செயல்பாடு  பற்றி கேட்ட போது, அது பற்றி அறிந்திருக்கவில்லை என அங்கு தங்கியுள்ளோர் கூறினர். இங்கு வரும் வழக்கறிஞர் குறித்து கூட தெரியாது என்றனர்.

மனநலம் காக்கும் பணியை ஆற்றி வரும் பான்யன் அமைப்பில் உள்ள சட்ட உதவி மையம், பெருந்தொற்று காலம் முதல் செயல்படவில்லை. கோவிட்-19 பெருந்தொற்று காலம் முன், வாரம் இரு முறை வழக்கறிஞர்கள் வந்து விழிப்புணர்வு மேற்கொள்வர் என பான்யன் அமைப்பில் பணிபுரிபவர்கள் தெரிவித்தனர். 

ஆதரவற்ற குழந்தைகளை பராமரிக்கும் கலைச்செல்வி கருணாலாயா சமூக பாதுகாப்பு மையத்தில் (KKSS), மூன்று ஆண்டுகள் முன்னர் வரை வழக்கறிஞர்கள் வந்து கொண்டிருந்தனர். 

“சட்ட உதவி மையம் பின்னர் வடபழனி காவல் நிலையத்திற்கு மாற்றப்பட்டதாக” அம்பத்தூரில் KKSS மையத்தை நடத்தும் கே.ரஜினி தெரிவித்தார். “அம்பத்தூரில் யாருக்கேனும் உதவி தேவைப்பட்டால் இப்போது வடபழனி செல்ல வேண்டும்.மேலும், சட்ட உதவி பெற காவல் நிலையத்திற்கு செல்ல மக்கள் தயக்கப்படலாம்.”

மக்களிடம் போதிய விழிப்புணர்வு இல்லாதது குறித்து நம்மிடம் ஒரு உதாரணத்தை பகிர்ந்தார் ஜோதிலக்ஷ்மி. “மாதம் ₹15000 சம்பாதிக்கும் அழகு நிலையம் நடத்துபவரை சந்தித்தேன். திருமண வாழ்வில் வன்முறை காரணமாக, சட்ட உதவி பெற பணம் சேமிக்க தொடங்கினார். நான் எடுத்துக்கூறும் வரை,  இலவச சட்ட உதவி குறித்து அவர் அறிந்திருக்கவில்லை” என்றார். 

“விழிப்புணர்வு தாண்டி, நம்பகத்தன்மையும் ஒரு முக்கிய காரணமாகும்.” என்றார், தில்லியிலுள்ள தேசிய சட்ட பல்கலைகழக பேராசிரியர் அனூப் சுரேந்திரனாத்.

மாற்று திறனாளி ஒருவர் சட்ட உதவி மையத்தை நாடினார். ஆனால், அவருக்கு ஒதுக்கப்பட்ட வழக்கறிஞர் முறையாக வழக்கில் உதவாததால், அவர் என்னை நாடினார். கட்டணமின்றி தற்போது அவருக்கு உதவி புரிகிறேன்” என்றார் சென்னையை சேர்ந்த வழக்கறிஞர் கல்பனா. சட்ட உதவி மையத்தில் இணைய விருப்பமில்லாததால், கட்டணமின்றி சில வழக்குகளை கையாள்கிறேன் என்றார் அவர்.

DLSA அல்லது TNSLSA-ல் இணைந்து பணியாற்ற போதிய உந்துதல் இல்லை. “சமூக உந்துதல் உள்ள சிலர் அனைவருக்கும் நீதி கிடைக்க வேண்டும் என விரும்புகின்றனர். சிலர் அனுபவம் மற்றும் நம்பக்கத்தன்மை பெற மையத்தில் இணைகின்றனர்,” என்கிறார் கல்பனா. 

“மூத்த பதவிகளுக்கு விண்ணப்பிக்க இது உதவும்” என்றார் அபர்னா. 

குறைவான ஊதியம் மற்றும் அதை பெறுவதில் உள்ள தாமதம் மேலும் பல வழக்கறிஞர் இதில் இணைய தடையாக உள்ளது. 

“இந்த வழக்குகளை கண்காணிக்கவோ வழிகாட்டவோ யாரும் இல்லை” என்றனர் கல்பனா மற்றும் ஜோதிலஷ்மி.

கண்காணிப்பு மற்றும் வழிகாட்டி குழுவை DLSA அமைத்திருந்தாலும், இது வரை தன்னிடம் யாரும் வழக்கு குறித்து கேட்டதில்லை என ஜோதிலக்ஷ்மி கூறினார். இருப்பினும், தன் வழக்கு குறித்த ஆவணங்களை சமர்பித்து வழக்கு இறுதியில், கௌரவ ஊதியத்திற்கு விண்ணப்பித்துள்ளார்

சட்ட உதவிக்கான அணுகலை மேம்படுத்துதல்
சட்ட உதவி மையங்களின் செயல்பாடு குறித்த வெளிப்படைத் தன்மை கூட்ட வேண்டும். விரிவான தகவலின்றி, மேம்படுத்தலுக்கான எந்த முயற்சியும் பலனளிக்காது.  

“சமூகத்திற்கு சேவையாற்ற, சட்டக் கல்லூரி மாணவர்களை சட்ட உதவி மையத்தில் இணைய உற்சாகப்படுத்தவேண்டும்.” என்கிறார் அபர்னா. முன்னாள் மாணவர்கள் ஒன்றிணைந்து, சட்ட உதவி மையத்தின் மூலம் பொது மக்களுக்கு உதவி வருகிறார்கள்.

சென்னையில் சட்ட உதவி மையத்தை மேலும் மேம்படுத்த, மக்களுக்கான நிறைய விழிப்புணர்வு முகாம்களை நடத்த வேண்டும் என்கிறார் ஜோதிலக்ஷ்மி. இதன் மூலம் சட்ட உதவியை நாடியுள்ள மக்களுக்கு உதவ முடியும்.

“ஒரு அமைப்பு திறமையாகப் பயன்படுத்தப்படும் போதே, அது தன்னை மேம்படுத்திக்கொள்ள முடியும்” என்கிறார் ஜோதிலக்ஷ்மி.

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ஒரு_அரசு_ஊழியர் மீது வழக்கு தொடர அரசிடமிருந்து முன்அனுமதி பெற வேண்டும் என்று உச்ச நீதிமன்றம்

 ஒரு_அரசு_ஊழியர் மீது வழக்கு தொடர அரசிடமிருந்து முன்அனுமதி பெற வேண்டும் என்று உச்ச நீதிமன்றம் " சங்கரன் மொய்த்ரா Vs சாதனா தாஸ் (AIR-2006-SCC-1599)" என்ற வழக்கில் தீர்ப்பு கூறியுள்ளது.


ஆனால் அரசு அதிகாரி ஒருவர், அரசு கடமையில் ஈடுபட்டிருக்கும் பொழுது ஒரு குற்றச் சம்பவம் நடைபெற்றிருந்தால், அவர் மீதுள்ள வழக்கினை நீதிமன்ற கோப்பிற்கு ஏற்றுக் கொள்வதற்கு முன்பாக அரசிடமிருந்து குற்றவியல் நடைமுறைச் சட்டம் பிரிவு 197 ன் கீழ் முன் அனுமதியை பெற வேண்டும். அந்த குற்றச் செயலானது அலுவலக ரீதியான ஒரு கடமையில் ஈடுபட்டிருக்கும் போது நடைபெற்றிருக்க வேண்டும் என்பதுதான் முக்கியமான விஷயமாகும். ஒரு அதிகாரியால் மேற்கொள்ளப்பட்ட நடவடிக்கை அவருடைய அலுவலக கடமை என்கிற வகையில் மேற்கொள்ளப்படவில்லை என்கிற குற்றச்சாட்டுகள் எழுந்தால் அவருக்கு குற்றவியல் நடைமுறைச் சட்டம் பிரிவு 197 ல் கூறப்பட்டுள்ளவை பொருந்தாது.


ஓர் அதிகாரியின் மீது சுமத்தப்பட்டுள்ள குற்றச்சாட்டுகளுக்கும், அந்த அதிகாரியின் அலுவலக கடமைக்கும் இடையே நேரடியாகவும், நியாயமாகவும் ஒரு தொடர்பு இருக்க வேண்டும். வேறு விதமாக கூற வேண்டும் என்றால் மறைமுகமான அல்லது நியாயமற்ற வகையில் அந்த செயலுக்கு தொடர்பு இருந்தால் அவர் குற்றவியல் நடைமுறைச் சட்டம் பிரிவு 197 ன் கீழான பாதுகாப்பை பெற முடியாது.


ஒரு குற்றச் செயலை புரிவதற்கு அதிகாரத்தை பயன்படுத்தியிருந்தால் அந்த அதிகாரி குற்றவியல் நடைமுறைச் சட்டம் பிரிவு 197 ல் வழங்கப்பட்டுள்ள பாதுகாப்பை பெற முடியாது. அந்த குற்றச் செயலானது அந்த அதிகாரி அவருடைய அலுவலக கடமையை நிறைவேற்றும் போது நடைபெற்றுள்ளதா? என்பதை அந்தந்த வழக்கு சங்கதிகளின் அடிப்படையில் தீர்மானிக்க வேண்டும்.


ஓர் அரசு ஊழியர் அவருடைய அலுவலக கடமையை நிறைவேற்றுவதற்காக நியாயமான செயல்களில் ஈடுபட்டிருந்தால் மட்டுமே அவருக்கு பாதுகாப்பு கிடைக்கும். அவருடைய கடமையை நிறைவேற்றுவதற்காக சட்டத்திற்குப் புறம்பான செயல்களில் ஈடுபட்டிருந்தால் பிரிவு 197 ன் கீழ் பாதுகாப்பினை பெற இயலாது.


இது குறித்து மதுரை உயர்நீதிமன்றக் கிளை " I. ஈஸ்வரன் Vs காவல்துறை கண்காணிப்பாளர், CBCID, திருச்சி மாவட்டம் மற்றுமொருவர் (2015-3-MLJ-CRL-698)" என்ற வழக்கில் விவாதித்து தீர்ப்பு வழங்கியுள்ளது.

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